Search News

मप्र के उज्जैन में राजसी अंदाज में नगर भ्रमण करेंगे बाबा महाकाल, चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में देंगे दर्शन

उज्जैन
  • By Kanhwizz Times
  • Reported By: Kritika pandey
  • Updated: November 17, 2025

कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क ।

आज निकलेगी भगवान महाकाल की कार्तिक अगहन मास की अंतिम व शाही सवारीउज्जैन, 17 नवम्बर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के उज्जैन में विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिग भगवान महाकालेश्वर मंदिर से कार्तिक-मार्गशीर्ष (अगहन) माह में निकलने वाली सवारियों के क्रम में आज सोमवार की शाम बाबा महाकाल की अंतिम (चौथी) एवं शाही सवारी धूमधाम से निकलेगी। अवंतिकानाथ चांदी की पालकी में सवार होकर राजसी अंदाज में नगर का भ्रमण कर अपनी प्रजा का हाल का जानेंगे। इस दौरान भगवान महाकाल अपने भक्तों को चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में दर्शन देंगे। महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया कि परंपरानुसार आज शाम चार बजे भगवान महाकाल की कार्तिक-अगहन मास की राजसी सवारी नगर भ्रमण पर निकलेगी। सवारी निकलने से पूर्व महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में भगवान चंद्रमौलेश्वर का विधिवत पूजन कर रजत पालकी में विराजित किया जाएगा। फिर पालकी मंदिर के द्वार पर पहुंचेगी। मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा भगवान को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा। इसके बाद सवारी रवाना होगी, जिसमें अश्वारोही दल, पुलिस बैंड, मंदिर समिति का बैंड, भजन मंडलियां और डमरू वादक युवाओं के दल शामिल होंगे। सवारी महाकाल मंदिर से होकर महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए रामघाट पहुंचेगी। यहां शिप्रा के जल से बाबा का पूजन एवं अभिषेक किया जाएगा। इसके बाद सवारी रामघाट से गणगौर दरवाजा, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिकचौक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्रीचौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी बाजार होते हुए पुन: श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंचेगी। सवारी में आगे तोपची, कड़ाबीन, श्री महाकालेश्वर बैंड, पुलिस बैंड, घुड़सवाल दल, सशस्त्र पुलिस बल के जवान शामिल रहेंगे।

भस्म आरती में हुआ भगवान महाकाल का राजा स्वरूप श्रृंगार

विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर मंदिर में सोमवार तड़के भस्म आरती के दौरान जटाधारी भगवान महाकाल को भस्म, चंदन और आभूषण अर्पित कर राजा स्वरूप में श्रृंगार किया गया। परम्परा के अनुसार, अलसुबह चार बजे मंदिर के पट खुलते ही पंडे–पुजारियों ने प्रथम घंटाल बजाकर मंदिर में प्रवेश करते ही भगवान का ध्यान कर मंत्रोच्चार के साथ हरिओम का जल अर्पित किया गया। इसके बाद गर्भगृह में स्थापित सभी देव प्रतिमाओं का पूजन किया गया। तत्पश्चात भगवान महाकाल का जलाभिषेक तथा दूध, दही, घी, शक्कर और फलों के रस से तैयार पंचामृत से अभिषेक किया गया। कपूर आरती के बाद भगवान के मस्तक पर भस्म, चंदन और त्रिपुण्ड अर्पित कर श्रृंगार किया गया। श्रृंगार पूर्ण होने के बाद ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढांककर भस्म रमाई गई। भस्म अर्पित करने के पश्चात शेषनाग का रजत मुकुट, रजत की मुण्डमाला और रुद्राक्ष की माला सहित सुगंधित पुष्पों की माला अर्पित की गई। मोगरे और गुलाब के सुगंधित पुष्पों से भगवान महाकाल का अलंकरण किया गया। फल और मिष्ठान का भोग लगाया गया। भस्म आरती में बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल का आशीर्वाद प्राप्त किया। महा निर्वाणी अखाड़े की ओर से भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की गई। मान्यता है कि भस्म अर्पित करने के बाद भगवान निराकार से साकार रूप में दर्शन देते हैं।

Breaking News:

Recent News: