कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री, अश्वनी वैष्णव ने कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश द्वारा डिजिटल व्यक्तिगत डेटा प्रोटेक्शन अधिनियम (डीपीडीपीए) को लेकर उठाए गए सवालों का जवाब दिया है। वैष्णव का कहना है कि यह अधिनियम सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता को बनाए रखते हुए गोपनीयता के अधिकार को मजबूत करता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस अधिनियम के तहत गोपनीयता के अधिकार की सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है और इसके तहत कोई भी व्यक्ति अपने व्यक्तिगत डेटा के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकता है।
रमेश ने केंद्रीय मंत्री को पत्र लिखकर डीपीडीपीए 2023 की धारा 44(3) पर चिंता जताई थी। उनका कहना था कि यह धारा सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआई एक्ट), 2005 के तहत प्रदान किए गए अधिकारों को समाप्त कर देगी। रमेश ने इस धारा को रोकने, समीक्षा करने और हटाए जाने का अनुरोध किया था।
इस पर मंत्री अश्वनी वैष्णव ने जवाब देते हुए कहा कि डीपीडीपीए का उद्देश्य व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा को प्राथमिकता देना है और साथ ही सरकारी कामकाजी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना है। उन्होंने कहा कि यह संशोधन व्यक्तिगत जानकारी को सार्वजनिक करने से नहीं रोकता बल्कि इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
वैष्णव ने यह भी बताया कि कानूनी दायित्वों के तहत जरूरी जनप्रतिनिधियों और कल्याणकारी योजनाओं जैसे मनरेगा से संबंधित व्यक्तिगत जानकारी आरटीआई अधिनियम के तहत सार्वजनिक की जाएगी।
इसके अलावा, पुट्टस्वामी मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि निजता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत एक मौलिक अधिकार है, जो जीवन के अधिकार से जुड़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में नागरिक समाज और व्यापक परामर्श प्रक्रिया के दौरान सूचना के अधिकार और निजता के अधिकार के बीच सामंजस्य स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया था। मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि डीपीडीपीए का उद्देश्य एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना है, जो गोपनीयता के अधिकार की रक्षा करते हुए, सार्वजनिक क्षेत्र में जरूरी पारदर्शिता बनाए रखने में सहायक हो।