कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क। आम आदमी पार्टी (AAP) के द्वारा दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस से सत्ता छीनने के बाद अब पार्टी ने एक नई डिमांड के साथ कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। AAP के इस नए कदम से न केवल कांग्रेस के लिए राजनीतिक दबाव बढ़ सकता है, बल्कि ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC) को भी इसका लाभ मिल सकता है।
1. AAP की बढ़ी डिमांड:
AAP ने हाल ही में कांग्रेस से एक बड़ा राजनीतिक कदम उठाने की मांग की है। पार्टी ने कांग्रेस से आग्रह किया है कि वह आगामी राष्ट्रीय चुनावों में एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ एक साझा रणनीति अपनाए। इसके अलावा, AAP ने कांग्रेस से यह भी कहा कि वह 2024 के लोकसभा चुनावों में राज्यवार गठबंधन पर विचार करें, ताकि बीजेपी को हराया जा सके। AAP के इस बयान से कांग्रेस को आगामी चुनावों के लिए अतिरिक्त दबाव महसूस हो रहा है, क्योंकि पार्टी को अपनी स्थिति और रणनीति को लेकर कई सवालों का सामना करना पड़ रहा है।
2. कांग्रेस के लिए बढ़ती चिंता:
अरविंद केजरीवाल की पार्टी भले ही लोकसभा चुनाव में गठबंधन का हिस्सा थी और चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, गोवा और गुजरात में एक साथ चुनाव लड़ा लेकिन पंजाब में पार्टी ने कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ा और दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी वो कांग्रेस के सामने दीवार बनकर खड़ी है. इससे पहले भी आप कांग्रेस को दिल्ली और पंजाब की सत्ता से बेदखल कर चुकी है. 2020 में पंजाब में आम आदमी पार्टी कांग्रेस को हराकर सत्ता में आई और इसी तरह के नतीजे दिल्ली में भी देखने को मिले थे. कांग्रेस के नेताओं को डर है कि AAP की यह डिमांड पार्टी की राष्ट्रीय भूमिका को और कमजोर कर सकती है। AAP, जो अब दिल्ली और पंजाब में मजबूत स्थिति में है, कांग्रेस के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुकी है। दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस की हार ने AAP को इस स्थिति में ला खड़ा किया है कि वह अब कांग्रेस को चुनौती देने के बजाय उसे किसी गठबंधन में शामिल होने के लिए मजबूर कर सकता है। कांग्रेस का यह डर भी है कि अगर AAP और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस एकजुट हो गईं, तो वे पार्टी के लिए और भी मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं।
3. ममता बनर्जी का समर्थन:
आप की तरफ से इस तरह का बयान आना तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) चीफ और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए गुड न्यूज साबित हो सकता है क्योंकि टीएमसी गठबंधन की कमान ममता बनर्जी को सौंपने की मांग कर चुकी है. वहीं, आप ने कांग्रेस को गठबंधन से बाहर करने की मांग करके टीएमसी चीफ के लिए रास्ता आसान कर दिया है। ममता बनर्जी, जो पहले से ही कांग्रेस के अंदरूनी संघर्षों से निराश थीं, को AAP का यह कदम बेहद फायदेमंद लग सकता है। ममता और उनके समर्थक पहले ही कांग्रेस से दूरी बनाए हुए हैं और अब वह इसे AAP के साथ गठबंधन का एक अवसर मान सकते हैं। ममता की तृणमूल कांग्रेस के लिए यह अवसर हो सकता है कि वह AAP और अन्य विपक्षी दलों के साथ मिलकर एक मजबूत मोर्चा बनाएं, जो 2024 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को चुनौती दे सके। ममता बनर्जी के लिए यह एक रणनीतिक कदम हो सकता है, जिसमें कांग्रेस की भूमिका और शक्ति को सीमित किया जा सकता है।
4. दिल्ली-पंजाब में AAP की बढ़ती ताकत:
दिल्ली और पंजाब में सत्ता पर काबिज होने के बाद AAP ने अपनी राजनीतिक ताकत को मजबूत किया है और पार्टी अब राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए तैयार है। पार्टी की सफलता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की बढ़ती लोकप्रियता कांग्रेस के लिए चुनौती बन चुकी है। AAP ने अब तक यह साबित किया है कि वह कांग्रेस और बीजेपी दोनों को सत्ता से बाहर करने की क्षमता रखती है, और इस सफलता से पार्टी का आत्मविश्वास भी बढ़ा है। AAP और ममता बनर्जी के नेतृत्व में विपक्षी दलों के बीच संभावित गठबंधन कांग्रेस के लिए एक नई चुनौती प्रस्तुत कर सकता है। कांग्रेस के भीतर यह सवाल उठ रहा है कि क्या पार्टी को AAP और तृणमूल कांग्रेस के साथ मिलकर एक मजबूत विरोधी मोर्चा बनाने पर विचार करना चाहिए, या उसे अपनी स्वतंत्र पहचान बनाए रखनी चाहिए। यह स्थिति पार्टी के लिए जटिल हो सकती है, क्योंकि कांग्रेस को एक ओर जहाँ AAP की मांगों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर ममता का भी समर्थन चाहिए। AAP की इस नई डिमांड से कांग्रेस की राजनीतिक स्थिति पर असर पड़ सकता है। जहां एक ओर AAP की बढ़ती ताकत और ममता बनर्जी का समर्थन कांग्रेस के लिए चिंता का विषय बन सकते हैं, वहीं दूसरी ओर यह विपक्षी दलों के लिए भाजपा के खिलाफ एकजुट होने का अवसर भी हो सकता है। अब यह देखना होगा कि कांग्रेस इस दबाव को कैसे संभालती है और क्या वह AAP और ममता के साथ कोई समझौता करती है या अपनी अलग राह पर चलती है।