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शिमला में आवारा कुत्तों की समस्या, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर अमल करे सरकार : नागरिक सभा

शिमला
  • By Kanhwizz Times
  • Reported By: Kritika pandey
  • Updated: October 28, 2025

कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क ।

शिमला नागरिक सभा (एसएनएस) ने हिमाचल प्रदेश सरकार और शिमला नगर निगम से आवारा कुत्तों के बढ़ते खतरे पर तुरंत और ठोस कदम उठाने की मांग की है। सभा ने कहा है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के बावजूद राज्य सरकार ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है, जिससे नागरिकों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। शिमला नागरिक सभा के अध्यक्ष जगमोहन ठाकुर और सचिव विवेक कश्यप ने मंगलवार को कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने 22 अगस्त, 2025 को सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को आदेश दिया था कि वे आवारा कुत्तों की अनिवार्य बंध्याकरण और रेबीज रोधी टीकाकरण सुनिश्चित करें। अदालत ने यह भी निर्देश दिए थे कि राज्य सरकारें विस्तृत प्रगति रिपोर्ट और अनुपालन शपथपत्र प्रस्तुत करें। सभा ने कहा कि दो महीने बीत जाने के बावजूद हिमाचल प्रदेश सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को कोई रिपोर्ट नहीं भेजी है। इस लापरवाही पर अदालत ने गंभीर रुख अपनाया है और अब 3 नवम्बर, 2025 को सभी मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने का आदेश दिया गया है। अब तक केवल तीन राज्यों ने ही अनुपालन शपथपत्र दाखिल किए हैं। सभा ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के 22 अगस्त को जारी दिशा-निर्देशों में सभी आवारा कुत्तों की बंध्याकरण, पर्याप्त बंध्याकरण केंद्रों व मोबाइल यूनिटों की स्थापना, सभी कुत्तों का रेबीज विरोधी टीकाकरण और अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने जैसे प्रावधान शामिल हैं। इसके बावजूद प्रदेश में स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

सभा के पदाधिकारियों ने कहा कि शहर और आसपास के क्षेत्रों में कुत्तों के काटने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इससे बच्चों, महिलाओं और बुजुर्ग नागरिकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ पशु प्रबंधन का नहीं बल्कि जनस्वास्थ्य और नागरिक सुरक्षा से जुड़ा गंभीर मुद्दा बन गया है। शिमला नागरिक सभा ने सरकार और नगर निगम से मांग की है कि पूरे क्षेत्र में पर्याप्त पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) केंद्र स्थापित किए जाएं, और व्यापक बंध्याकरण व टीकाकरण अभियान चलाया जाए। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षित पशु चिकित्सा कर्मचारियों की नियुक्ति और पर्याप्त बजट की व्यवस्था भी जरूरी है, ताकि इस समस्या का स्थायी समाधान किया जा सके। सभा अध्यक्ष जगमोहन ठाकुर और सचिव विवेक कश्यप ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश केवल सुझाव नहीं बल्कि बाध्यकारी आदेश हैं। अगर सरकार ने जल्द कार्रवाई नहीं की तो यह न केवल न्यायालय की अवमानना होगी, बल्कि नागरिकों की सुरक्षा पर भी गहरा असर पड़ेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि लापरवाही जारी रही तो प्रशासन को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
 

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