कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क ।
हिमाचल प्रदेश में मॉनसून का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। राजधानी शिमला में बीती रात कुछ घंटों में 141 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जो इस सीजन की अब तक की सबसे भारी वर्षा है। अचानक हुई इस मूसलाधार बारिश से शहर में जगह-जगह भूस्खलन हुए और सड़कें मलबे से पाट दी गईं। हिमलैंड, कच्चीघाटी और बीसीएस इलाकों में पहाड़ खिसकने और पेड़ गिरने से दस से अधिक वाहन क्षतिग्रस्त हो गए। खासकर कार्ट रोड पर हिमलैंड के पास भूस्खलन से पांच से छह वाहन मलबे की चपेट में आ गए और शहर की लाइफलाइन कही जाने वाली यह सड़क पूरी तरह बंद हो गई। मंगलवार सुबह लोग अपने गंतव्य तक पैदल ही पहुंचे और घंटों जाम का सामना किया। बीसीएस में पेड़ गिरने से तीन-चार वाहन क्षतिग्रस्त हुए जबकि टूटीकंडी और पांजरी में भी गाड़ियों को नुकसान पहुंचा। इसी तरह कनलोग में भी भूस्खलन की घटना सामने आई है प्रशासन के अनुसार कच्चीघाटी और बीसीएस में वन वे ट्रैफिक बहाल कर दिया गया है जबकि हिमलैंड में युद्ध स्तर पर सड़क बहाली का काम जारी है। बारिश से नदी-नाले उफान पर हैं और बांधों का जलस्तर बढ़ गया है। शिमला के अलावा कांगड़ा के नगरोटा सूरियाँ में 135 मिलीमीटर, चंबा के चुआड़ी में 80, मंडी के सुंदरनगर में 60, सलापड़ में 57, ब्रह्माणे व गुलेर में 54-54 और मंडी शहर में 52 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के मुताबिक बारिश और भूस्खलन से राज्य भर में 3 नेशनल हाईवे व 650 सड़कें बंद हो गई हैं। कुल्लू में दो और ऊना में एक नेशनल हाईवे बाधित है। मंडी जिले में सबसे ज्यादा 313 सड़कें ठप हैं, वहीं कुल्लू में 153, शिमला में 58 और कांगड़ा में 46 सड़कें बंद हैं। बिजली और पानी की आपूर्ति भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। पूरे प्रदेश में 1205 ट्रांसफार्मर और 160 पेयजल योजनाएं ठप हैं। मंडी में 783, हमीरपुर में 259 और कुल्लू में 73 ट्रांसफार्मर खराब हो गए हैं, जबकि मंडी में 53 और शिमला में 41 जल योजनाएं बाधित हैं। मौसम विभाग ने आज और कल अंधड़ व बिजली गिरने के साथ बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। विभाग का अनुमान है कि 18 से 22 सितम्बर तक प्रदेश में हल्की से मध्यम बारिश होगी, जिससे लोगों को भारी वर्षा से राहत मिलेगी। इस बीच, आपदा और बारिश से अब तक भारी जनहानि व संपत्ति का नुकसान हुआ है। आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार अब तक 409 लोगों की मौत हो चुकी है, 473 लोग घायल हैं और 41 लोग लापता हैं। सबसे ज्यादा 61 मौतें मंडी जिले में दर्ज की गई हैं। कांगड़ा में 56, चंबा में 50, शिमला में 47, कुल्लू में 44 और सोलन में 31 लोगों की जान गई है। बारिश और आपदा में 1,478 मकान पूरी तरह ढह गए हैं जबकि 6,298 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। 490 दुकानें और 6,147 गौशालाएं भी जमींदोज हो गईं। पशुधन को भी भारी नुकसान हुआ है और अब तक 2,109 मवेशियों तथा 26 हजार से अधिक पोल्ट्री पक्षियों की मौत दर्ज की गई है। सरकारी आकलन के मुताबिक इस बरसात ने हिमाचल को अब तक 4,504 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान पहुंचाया है। लोक निर्माण विभाग की सड़कें और पुल सबसे ज्यादा क्षतिग्रस्त हुए हैं। राज्यभर में अब तक 140 भूस्खलन, 97 फ्लैश फ्लड और 46 बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गई हैं, जो इस बार के मॉनसून की भयावह तस्वीर बयां कर रही हैं।