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हिमाचल में 24 सितंबर से फिर बरसेंगे बादल, भूस्खलन से 394 सड़कें बंद

शिमला
  • By Kanhwizz Times
  • Reported By: Kritika pandey
  • Updated: September 20, 2025

कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क ।

हिमाचल प्रदेश में तबाही मचाने वाला मॉनसून अब अपने आखिरी पड़ाव पर है औऱ कमजोर पड़ गया है। राजधानी शिमला सहित राज्य के अधिकांश इलाकों में आज सुबह से धूप खिली है। इससे लोगों ने राहत की सांस ली है। मौसम विभाग ने अगले तीन दिन यानी 21, 22 व 23 सितंबर को भी मौसम के साफ रहने का अनुमान जताया है। इसके बाद मॉनसून फिर सक्रिय होगा और 24 से 26 सितम्बर तक कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा होने का अनुमान है। मानसून ने 20 जून को प्रदेश में दस्तक दी थी और अब तक सामान्य से 46 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की जा चुकी है। इस माह के अंत तक प्रदेश से विदा होने के आसार हैं। मौसम विभाग के मुताबिक बीती रात कोठी में 24, कांगड़ा में 21 और घुमरूर में 13 मिमी वर्षा रिकॉर्ड हुई है। इस बीच मौसम खुलने से भूस्खलन से अवरुद्ध सड़कों का बहाली कार्य जारी है। अभी भी कई इलाकों में सड़कें अवरुद्ध पड़ी हैं। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार शनिवार सुबह तक प्रदेशभर में 2 नेशनल हाईवे और 394 सड़कें बंद रहीं। इनमें कुल्लू और ऊना के एक-एक नेशनल हाईवे शामिल हैं। मंडी जिले में सबसे ज्यादा 140 सड़कें, कुल्लू में 109, कांगड़ा में 38 और शिमला में 27 सड़कें ठप पड़ी हैं। इसके अलावा प्रदेशभर में 73 ट्रांसफार्मर और 174 पेयजल योजनाएं भी बंद पड़ी हैं। कुल्लू जिले में 35 ट्रांसफार्मर और मंडी में 105 पेयजल योजनाएं प्रभावित रहीं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस मानसून सीजन में अब तक 427 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 481 लोग घायल हुए हैं और 46 लोग लापता हैं। सबसे ज्यादा मौतें मंडी जिले में हुईं जहां 66 लोगों ने जान गंवाई। इसके अलावा कांगड़ा में 57, चंबा में 50 और शिमला में 48 लोगों की जान गई। राज्यभर में अब तक 1,664 मकान पूरी तरह ढह चुके हैं और 7,195 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। पशुधन को भी भारी नुकसान हुआ है, जिसमें 2,478 मवेशियों और 26 हजार से अधिक पोल्ट्री पक्षियों की मौत दर्ज की गई है। प्रदेश सरकार के प्रारंभिक आकलन के मुताबिक अब तक का कुल नुकसान 4,754 करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है। सबसे ज्यादा क्षति लोक निर्माण विभाग की सड़कों और पुलों को हुई है। इस मानसून सीजन में अब तक 148 भूस्खलन, 98 फ्लैश फ्लड और 47 बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गई हैं।
 

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