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क्या दिल्ली में खत्म होगी टोल नाकों की टेंशन? विशेषज्ञों ने की स्थायी रूप से हटाने की सिफारिश

दिल्ली के 13 टोल नाकों पर लगने वाले जाम से बढ़ रहे प्रदूषण और तनाव को देखते हुए विशेषज्ञों ने इन्हें स्थायी रूप से हटाने की मांग की है। RFID तकनीक विफल रही, अब वैकल्पिक शुल्क प्रणाली की सिफारिश की जा रही है।
  • By Kanhwizz Times
  • Reported By: Kritika pandey
  • Updated: June 26, 2025

कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क । 

राजधानी दिल्ली में एमसीडी द्वारा बनाए गए 13 टोल नाकों पर लगने वाले जाम ने शहर के वायु प्रदूषण और नागरिकों के मानसिक तनाव को बढ़ा दिया है। विशेषज्ञों ने इन टोल प्वाइंट्स को स्थायी रूप से हटाने की सिफारिश की है। उनका कहना है कि इन टोल नाकों से जहां ट्रैफिक जाम बढ़ता है, वहीं भारी वाहनों के कारण प्रदूषण का स्तर भी काफी बढ़ जाता है। जानकारी के अनुसार, 2018 में इन टोल प्वाइंट्स पर रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस  लगाए गए थे। इस पर करीब 80 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे ताकि टोल वसूली को स्वचालित बनाकर जाम से राहत दी जा सके। लेकिन ये उपकरण अपेक्षित रूप से प्रभावी साबित नहीं हुए। विशेषज्ञों का मानना है कि टोल वसूली में मानवीय हस्तक्षेप खत्म किए बिना जाम और प्रदूषण पर काबू नहीं पाया जा सकता। इसलिए वे सुझाव दे रहे हैं कि टोल और पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क की वसूली वाहन खरीदते समय या मासिक/वार्षिक शुल्क के रूप में की जाए। इससे न सिर्फ जाम और प्रदूषण में कमी आएगी बल्कि नागरिकों को भी राहत मिलेगी। विशेष रूप से उन भारी मालवाहक वाहनों से अधिक प्रदूषण फैलता है जो घंटों जाम में फंसे रहते हैं। विशेषज्ञों की इस मांग को गंभीरता से लिया जा रहा है और उम्मीद जताई जा रही है कि दिल्ली सरकार और एमसीडी इस दिशा में जल्द कोई बड़ा निर्णय ले सकती है।

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