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Air Pollution: हल्के में न लें वायु प्रदूषण, धूलकण से सांस की नली में हो रहा सूजन; इन गंभीर बीमारियों का भी खतरा

यू पी
  • By Kanhwizz Times
  • Reported By: Kanwhizz Times
  • Updated: January 9, 2025

कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क।वायु प्रदूषण, खासकर शहरों में बढ़ता धूलकण और अन्य प्रदूषक तत्व, स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा बन गए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, प्रदूषित हवा से न केवल सांस की नली में सूजन हो रही है, बल्कि यह दीर्घकालिक शारीरिक समस्याओं को भी जन्म दे सकता है। बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण श्वसन तंत्र, हृदय और अन्य अंगों पर भी बुरा असर पड़ सकता है।

सांस की नली में सूजन
वायु प्रदूषण के सबसे प्रमुख प्रभावों में से एक है, सांस की नली में सूजन आना। धूलकण, धुएं और अन्य प्रदूषक तत्व सीधे फेफड़ों में पहुंचते हैं, जिससे न केवल सूजन होती है, बल्कि श्वसन तंत्र में अन्य समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। इससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, एलर्जी और अन्य श्वसन संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

गंभीर बीमारियों का खतरा
    1.    अस्थमा और ब्रोंकाइटिस: वायु प्रदूषण से अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी श्वसन बीमारियां और भी गंभीर हो सकती हैं। प्रदूषित हवा श्वसन तंत्र की कार्यक्षमता को प्रभावित करती है, जिससे इन बीमारियों के लक्षण उभर सकते हैं।
    2.    हृदय रोग: प्रदूषण से दिल की बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। धूलकण और धुएं में पाए जाने वाले जहरीले तत्व रक्त संचार प्रणाली में घुलकर रक्त वाहिकाओं को संकुचित कर सकते हैं, जिससे दिल का दौरा और अन्य हृदय संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
    3.    कैंसर: दीर्घकालिक वायु प्रदूषण से फेफड़ों में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का भी खतरा बढ़ता है। यह खासकर उन लोगों में अधिक देखने को मिलता है जो लंबे समय तक प्रदूषित वातावरण में रहते हैं।
    4.    मस्तिष्क संबंधी समस्याएं: वायु प्रदूषण मस्तिष्क पर भी असर डाल सकता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ता है।


स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि वायु प्रदूषण से बचने के लिए मास्क पहनना, घर के अंदर रहना और वायु शुद्धि उपकरण का उपयोग करना चाहिए। इसके अलावा, प्रदूषण के उच्चतम स्तर के दिनों में बाहरी गतिविधियों से बचना और श्वसन संबंधी समस्याओं का समय रहते इलाज कराना जरूरी है।

वायु प्रदूषण को हल्के में लेना न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, बल्कि यह हमारे दीर्घकालिक जीवन को भी प्रभावित कर सकता है। इसलिए, इससे बचाव के उपायों को अपनाना आवश्यक है।

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