कैनविज टाइम्स/डिजिटल डेस्क/ लखनऊ। भारतीय सेना के मेजर मुकुंद वरदराजन की साहसिक और बलिदान की कहानी पर आधारित फिल्म ‘अमरन’ ने देशवासियों को उनकी वीरता और देश के प्रति समर्पण की प्रेरणा दी है। मेजर मुकुंद वरदराजन का जन्म 1989 में हुआ था, और उन्होंने भारतीय सेना में अपनी पूरी जिंदगी देश की सेवा में समर्पित की। उनकी वीरता की कहानी एक सच्चे सैनिक की मिसाल है, जो अपने कर्तव्य को निभाने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं करता।
मेजर मुकुंद ने 2015 में जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में अपनी अंतिम सांस ली। उस समय वे आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन में शामिल थे। उनके नेतृत्व में एक सैन्य टुकड़ी ने घातक आतंकवादियों के एक समूह का सामना किया, और इस दौरान मेजर मुकुंद ने अद्वितीय साहस का परिचय दिया। अपनी टुकड़ी की रक्षा करते हुए उन्होंने न केवल ऑपरेशन को सफल बनाया, बल्कि खुद भी घायल हो गए। लेकिन, गंभीर चोटों के बावजूद, उन्होंने अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाई और अंततः शहादत को प्राप्त किया।
उनकी शहादत ने पूरे देश को झकझोर दिया। भारतीय सेना और नागरिकों के बीच वे एक प्रेरणा बन गए, जिनकी वीरता और बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनकी वीरता की कहानी आज भी भारतीय सेना के जवानों के लिए एक प्रेरणा है।
‘अमरन’ फिल्म में मेजर मुकुंद की साहसिकता, बलिदान और कर्तव्यनिष्ठा को जीवित रखा गया है। यह फिल्म उनकी जीवन यात्रा को दर्शाती है, जो देश के प्रति उनके अनमोल योगदान को सम्मानित करती है। यह एक ऐसी प्रेरणादायक गाथा है, जो हर भारतीय को गर्व महसूस कराती है।