कैनविज टाइम्स,धर्म डेस्क। आज, 11 मार्च 2025 (मंगलवार), फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि है, जो प्रदोष व्रत के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। प्रदोष व्रत, जिसे दक्षिण भारत में प्रदोषम के नाम से जाना जाता है, भगवान शिव की पूजा का एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को सूर्यास्त के समय मनाया जाता है।
प्रदोष व्रत की महत्वता:
प्रदोष व्रत का पालन करने से भक्तों को पापों से मुक्ति, सुख-समृद्धि, और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
प्रदोष व्रत की विधि:
1. स्नान और शुद्धता: सूर्यास्त से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. व्रत का संकल्प: भगवान शिव की पूजा का संकल्प लें।
3. भगवान शिव की पूजा:
• मंदिर जाएं: निकटतम शिव मंदिर में जाएं।
• शिवलिंग का अभिषेक: पानी, दूध, शहद, गंगाजल आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें।
• दीप और धूप अर्पित करें: मंदिर में दीप और धूप अर्पित करें।
• मंत्र जाप: “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
4. प्रदोष व्रत कथा का श्रवण: पूजा के बाद प्रदोष व्रत की कथा सुनें या पढ़ें।
5. ब्राह्मणों को भोजन और दान: ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दें।
प्रदोष व्रत कथा:
प्रदोष व्रत की कथा भगवान शिव और उनके भक्तों से संबंधित है, जिसमें बताया गया है कि किस प्रकार भगवान शिव की सच्ची भक्ति से सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। कथा में वर्णित है कि एक समय राक्षसों के अत्याचार से त्रस्त देवताओं ने भगवान शिव की प्रार्थना की, जिससे भगवान शिव ने प्रदोष व्रत की महिमा का उपदेश दिया। इस व्रत के माध्यम से भक्तों ने राक्षसों पर विजय प्राप्त की और सुख-समृद्धि का आनंद लिया।
प्रदोष व्रत के लाभ:
• पापों से मुक्ति
• सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति
• दु:खों और संकटों से राहत
• मोक्ष की प्राप्ति
आज के इस पवित्र अवसर पर प्रदोष व्रत का पालन करके आप भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में सुख-समृद्धि ला सकते हैं।