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Salima Tete: कौन हैं अर्जुन अवार्ड विनर सलीमा टेटे? बांस की स्टिक से करती थीं प्रैक्टिस, अब संभाल रहीं हॉकी टीम की कमान

हॉकी
  • By Kanhwizz Times
  • Reported By: Kanwhizz Times
  • Updated: January 4, 2025

कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क। भारत की स्टार हॉकी खिलाड़ी सलीमा टेटे का नाम अब देश के सबसे बड़े खेल पुरस्कारों में गिना जाने लगा है, और उन्हें अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया है। उनकी कहानी एक प्रेरणा है, जो कठिनाईयों और संघर्षों को पार कर एक नई पहचान बनाने में सफल रही हैं। सलीमा का जीवन एक संघर्ष की कहानी है, जिसमें उन्होंने कड़ी मेहनत, समर्पण और अपने खेल के प्रति प्यार को आधार बनाकर अपनी राह बनाई। सलीमा टेटे का जन्म झारखंड राज्य के छोटे से गांव में हुआ था, जहां उनकी आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत नहीं थी। उनके पास हॉकी खेलने के लिए सही उपकरण भी नहीं थे, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। शुरुआती दिनों में वे बांस की स्टिक से प्रैक्टिस करती थीं, क्योंकि उनके पास हॉकी के असली स्टिक्स नहीं थे। इस संघर्ष से ही उनकी मेहनत और आत्मविश्वास ने उन्हें बड़ा मंच दिलाया। सलीमा टेटे ने अपनी हॉकी यात्रा की शुरुआत बहुत ही साधारण तरीके से की थी, लेकिन उनके खेल में कुछ खास था जो उन्हें जल्द ही पहचान दिलाने में सफल हुआ। उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और जबर्दस्त खेल से सभी को प्रभावित किया। टेटे की तेज़ रफ्तार, चपलता और तकनीकी कौशल ने उन्हें राष्ट्रीय टीम में स्थान दिलवाया, जहां से उनकी साख और मजबूत हुई।

अर्जुन अवार्ड की प्राप्ति

सलीमा टेटे ने भारतीय महिला हॉकी टीम का हिस्सा बनकर कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया। उनकी कड़ी मेहनत और निरंतर उत्कृष्ट प्रदर्शन के कारण उन्हें अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया। अर्जुन अवार्ड, भारत का एक प्रमुख खेल सम्मान है, जो उन खिलाड़ियों को दिया जाता है जिन्होंने खेल के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया है। यह सम्मान सलीमा की कड़ी मेहनत और समर्पण का परिणाम था। सलीमा टेटे अब भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान के रूप में खेल रही हैं। उनकी नेतृत्व क्षमता और मैदान पर उनके खेल का तरीका टीम को प्रेरित करता है। कप्तान के रूप में, सलीमा ने टीम की दिशा और प्रदर्शन को बेहतर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनका नेतृत्व भारतीय महिला हॉकी को अंतरराष्ट्रीय मंच पर सम्मान दिलाने में मदद कर रहा है।

समाज में बदलाव लाने की इच्छा

सलीमा का सपना सिर्फ हॉकी में ही नहीं, बल्कि समाज में बदलाव लाने का भी है। वह चाहती हैं कि उनकी सफलता से अन्य गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को प्रेरणा मिले और वे भी अपने सपनों को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ें। सलीमा खुद को एक उदाहरण मानती हैं, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी और अपने सपनों को सच किया। सलीमा टेटे का आगामी भविष्य बेहद उज्जवल नजर आ रहा है। वह भारतीय महिला हॉकी टीम की एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन चुकी हैं और टीम की सफलता में उनका योगदान अतुलनीय है। उनके नेतृत्व में भारतीय महिला हॉकी को नई ऊँचाइयों तक पहुँचने का अवसर मिल सकता है। उनकी प्रेरणादायक यात्रा और संघर्ष भारतीय खेल जगत में एक मिसाल कायम कर रही है। सलीमा टेटे की कहानी हमें यह सिखाती है कि संघर्ष, मेहनत और आत्मविश्वास से कोई भी मुश्किल को पार किया जा सकता है। उनकी सफलता भारतीय खेल जगत के लिए गर्व की बात है और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा है।

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