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VIDEO: ‘हजारों जवाबों से मेरी खामोशी अच्छी, न जाने…’ दिलजीत ने कॉन्सर्ट में मनमोहन सिंह को दी श्रद्धांजलि

मनोरंजन
  • By Kanhwizz Times
  • Reported By: Kanwhizz Times
  • Updated: December 30, 2024

कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क।पंजाबी सिंगर और एक्टर दिलजीत दोसांझ ने हाल ही में एक लाइव कॉन्सर्ट में अपनी दिलचस्प और भावुक प्रस्तुति के दौरान अपने गुरु, मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की। दिलजीत, जिन्होंने अपनी गायकी और अभिनय से लाखों फैंस के दिलों में एक खास जगह बनाई है, ने यह श्रद्धांजलि एक बेहद भावुक तरीके से दी, जो दर्शकों के लिए भी एक खास पल बन गया।

मनमोहन सिंह की श्रद्धांजलि में दिलजीत का भावुक संदेश:

दिलजीत ने कॉन्सर्ट के दौरान एक गाने के बाद मंच पर खड़े होकर कहा, “हजारों जवाबों से मेरी खामोशी अच्छी, न जाने क्या ख्वाहिश है मेरी…” यह शब्द उन्होंने अपने गुरु और मेंटोर मनमोहन सिंह के लिए कहे थे, जो उनके संगीत के सफर के अहम हिस्सा रहे हैं। यह पंक्तियां न केवल दिलजीत की गहरी श्रद्धा का प्रतीक थीं, बल्कि उनके मन के अंदर के उस कष्ट को भी दर्शाती थीं जो उन्होंने अपने गुरु की अचानक हुई मृत्यु के बाद महसूस किया।

श्रद्धांजलि की वजह:

मनमोहन सिंह, जो पंजाबी संगीत उद्योग में एक महान नाम थे, दिलजीत के लिए केवल एक गुरु नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक और प्रेरणा स्रोत थे। उनकी मृत्यु दिलजीत के लिए व्यक्तिगत रूप से एक बहुत बड़ा झटका था, और इस कॉन्सर्ट के दौरान उन्होंने अपनी भावनाओं को जाहिर किया।

कॉन्सर्ट का खास पल:

दिलजीत का यह पल उनके फैंस और सभी उपस्थित लोगों के लिए बेहद भावुक था। जब दिलजीत ने यह शब्द कहे, तो पूरी ऑडियंस एक सन्नाटे में डूब गई। इसके बाद, उन्होंने एक और गाना पेश किया, जो इस श्रद्धांजलि के जज्बात को और भी गहराई से व्यक्त करता था।

दिलजीत ने अपनी परफॉर्मेंस में मनमोहन सिंह को याद करते हुए यह भी कहा कि, “वो हमेशा मेरे साथ थे, और मैं उन्हें कभी नहीं भूल सकता।”

दिलजीत का इमोशनल जेस्चर:

इस इमोशनल श्रद्धांजलि में दिलजीत ने अपने फैंस से भी यह संदेश दिया कि, “जो हमें छोड़कर जाते हैं, वो हमेशा हमारे दिलों में रहते हैं। उनकी यादें हमें हमेशा आगे बढ़ने की ताकत देती हैं।” उन्होंने इस भावना के साथ अपने कॉन्सर्ट का समापन किया, जिसमें उनके फैंस ने भी दिल से ताली बजाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। 

दिलजीत दोसांझ का यह कॉन्सर्ट सिर्फ एक संगीत कार्यक्रम नहीं था, बल्कि एक भावनात्मक यात्रा थी, जिसमें उन्होंने अपने गुरु मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि दी। इस पल ने न केवल दिलजीत के फैंस को गहरे भावनात्मक तरीके से छुआ, बल्कि यह साबित किया कि एक कलाकार का दिल सिर्फ उसकी कला में नहीं, बल्कि उसके रिश्तों और अपने प्रियजनों के प्रति श्रद्धा में भी समाया होता है।

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