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आठ साल में चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में बदली उत्तर प्रदेश की छवि

उत्तर प्रदेश
  • By Kanhwizz Times
  • Reported By: Kritika pandey
  • Updated: August 6, 2025

कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क । 

वर्ष 2017 से पहले 'बीमारू प्रदेश' कहे जाने वाला उत्तर प्रदेश पिछले आठ वर्षों में स्वस्थ और उत्तम प्रदेश बनकर उभरा है। योगी सरकार ने पिछले आठ वर्षों में प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या में वृद्धि, एमबीबीएस-पीजी सीटों में विस्तार, सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों और रिसर्च संस्थानों की स्थापना तथा आयुष चिकित्सा को बढ़ावा देकर चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में एक नया स्वर्णिम अध्याय लिखा है।
याेगी सरकार की मॉनीटरिंग का ही नतीजा है कि वर्ष 2017 से पहले का उत्तर प्रदेश, आज स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छू रहा है। वर्ष 2017 में सत्ता संभालने के बाद से, योगी सरकार ने प्रदेश के स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने के लिए कई ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। इन्हीं प्रयासों का नतीजा है कि प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभूतपूर्व विस्तार हुआ है। मेडिकल कॉलेज और एमबीबीएस संग पीजी सीटों में हुए इजाफाप्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य ​पार्थ सारथी सेन शर्मा के अनुसार पिछले आठ वर्षों में प्रदेश में 80 मेडिकल कॉलेज संचालित किए गए हैं, जिनमें 44 राजकीय एवं 36 निजी मेडिकल कॉलेज शामिल हैं। बिजनौर, बुलंदशहर, कुशीनगर, पीलीभीत, सुल्तानपुर, कानपुर देहात, ललितपुर, औरैया, चंदौली, गोंडा, सोनभद्र, लखीमपुर खीरी और कौशांबी जैसे जिलों में स्वशासी मेडिकल कॉलेजों में पठन-पाठन प्रारंभ हो चुका है। वहीं, महाराजगंज, शामली और संभल में पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल के तहत मेडिकल कॉलेजों की स्थापना कर चिकित्सा शिक्षा को और अधिक सुलभ बनाया गया है। वहीं प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा को मजबूती देने के लिए एमबीबीएस और पीजी सीटों में भी ऐतिहासिक वृद्धि की गई है। वर्तमान में सरकारी क्षेत्र में 5,250 एमबीबीएस सीटें उपलब्ध हैं, जबकि निजी क्षेत्र में 6,550 सीटें हैं।

आयुष शिक्षा को भी मिला बढ़ावा

योगी सरकार के प्रयासों से आयुष चिकित्सा शिक्षा को भी बढ़ावा मिला है। अयोध्या में राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय और वाराणसी में राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज की स्थापना की गई है। प्रदेश में कुल 2,110 आयुर्वेदिक, 254 यूनानी और 1,585 होम्योपैथिक चिकित्सालय कार्यरत हैं। इसके अलावा, आठ आयुर्वेदिक कॉलेज, दाे यूनानी कॉलेज और नाै होम्योपैथिक कॉलेजों के साथ उनके संबद्ध चिकित्सालय भी संचालित किए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार ने आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना करते हुए महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना की है।

सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों और संस्थानों की स्थापना

चिकित्सा सेवाओं को और अधिक सुदृढ़ करने के लिए राजधानी लखनऊ में कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर इंस्टीट्यूट में ‘सेंटर फॉर एडवांस मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक्स एंड रिसर्च फॉर कैंसर’ की स्थापना की गई है। इसके अलावा संजय गांधी पीजीआई (एसजीपीजीआई) में डायबिटीज सेंटर की स्थापना के साथ-साथ 500 बेड के एडवांस पीडियाट्रिक सेंटर का निर्माण कार्य प्रगति पर है। आईआईटी कानपुर के तहत 500 शैय्या युक्त सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के साथ ‘स्कूल ऑफ मेडिकल रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी’ की स्थापना भी की जा रही है, जो चिकित्सा अनुसंधान और अत्याधुनिक तकनीकों को बढ़ावा देगा।

नर्सिंग और पैरामेडिकल शिक्षा को लगे पंख

योगी सरकार ने नर्सिंग और पैरामेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में भी बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। प्रदेश में स्वीकृत 27 नर्सिंग कॉलेजों में से 25 में निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया है। साथ ही, नर्सिंग में 7,000 सीटों और पैरामेडिकल में 2,000 सीटों की वृद्धि की गई है। प्रदेश में लंबे समय से बंद पड़े 35 एएनएम (सहायक नर्सिंग मिडवाइफरी) प्रशिक्षण केंद्रों को पुनः शुरू किया गया है। लखनऊ में अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है। वहीं, गोरखपुर और रायबरेली में एम्स (एआईआईएमएस) का संचालन किया जा रहा है, जिससे पूर्वी और मध्य उत्तर प्रदेश के लोगों को विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधाएं प्राप्त हो रही हैं।

 ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हुआ है। इतना ही नहीं सभी जिलों में डायलिसिस सेवाएं शुरू की गई हैं, जिससे किडनी रोगियों को बड़ी राहत मिली है। साथ ही 74 जिलों में सीटी स्कैन की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है, जिससे रोगियों को सस्ती और सुलभ जांच सेवाएं प्राप्त हो रही हैं।-

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