कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क ।
दीपावली तिथि पर श्री महालक्ष्मी पूजन को लेकर इस वर्ष भी देशभर में विरोधाभास एवं विचार वैशम्य की स्थिति निर्मित हो गई है। पृथक-पृथक विद्वानों द्वारा श्री महालक्ष्मी पूजन मुहूर्त को लेकर इस संदर्भ में परस्पर विरोधाभासी विचार व्यक्त किए गए हैं परिणामस्वरूप श्रीमहालक्ष्मी पूजन को लेकर जन मानस में असमंजस की स्थिति निर्मित हुई है। जन मानस में व्याप्त उक्त असमंजस की स्थिति के निवारणार्थ देश के सुप्रसिद्ध श्री सिद्ध विजय पञ्चांगं के विद्वान प्रधान संपादक डॉ विष्णु कुमार शास्त्री से हिन्दुस्थान समाचार एजेंसी के संवाददाता द्वारा बात की गई तो उन्होंने शास्त्रीय मतों का उल्लेख करते हुए कहा कि शास्त्रोक्त मतानुसार इस वर्ष श्री महालक्ष्मी पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी युक्त अमावस्या तिथि तदनुसार सोमवार, 20 अक्टूबर ही है। अतः इसी शुभ दिवस पर प्रदोषकाल के उत्तम योग में श्रीमहालक्ष्मी पूजन किया जाना पूर्ण रूपेण धर्म शास्त्र सम्मत शुभ लाभ प्रदायक, निरापद एवं सर्वश्रेष्ठ है। श्री सिद्ध विजय पञ्चांगं के प्रधान संपादक एवं पञ्चांग कर्ता डॉ विष्णु कुमार शास्त्री ने शास्त्रोक्त मतों का हवाला देते हुए कहा कि श्री शुभ संवत् 2082 कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी पर अमावस्या सोमवार दिनांक 20 अक्टूबर 2025 को सायंकाल सूर्यास्त समय 5 बजकर 55 मिनिट (स्टैंडर्ड टाइम 17/55) से रात्रि में 8 बजकर 24 मिनिट तक प्रदोष काल में श्री महालक्ष्मी पूजन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है, जो कि धर्म शास्त्र सम्मत है। डॉ शास्त्री ने धर्म सिंधु ग्रंथ का उद्धरण देते हुए कहा कि "प्रदोषे दीपदानं लक्ष्मी पूजनादि विहितम्।" एवं प्रदोष समये लक्ष्मीं पूजयित्वास्तत:। उन्होंने कहा कि उक्त प्रदोषकाल के अधिकांश समय में रात्रि में स्टैंडर्ड टाइम 19/22 से 21/ 20 वृष स्थिर लग्न में श्री महालक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है। उन्होंने प्रदोषकाल में श्री महालक्ष्मी पूजन का महत्व निरुपित करते हुए कहा कि दीपावली को सायंकालीन वेला में दीपदान एवं महालक्ष्मी पूजा का मुख्य कर्मकाल प्रदोषकाल है, ऐसे में इस प्रदोषकाल में यद्यपि चौघड़िया आदि का विचार करने की भी आवश्यकता नहीं है, तथापि इस तिथि पर चौघड़िया के मान से भी दिन में 3 बजकर 4 मिनट से 4 बजकर 29 मिनट तक लाभ का चौघड़िया, सायं 4 बजकर 30 मिनट से 5 बजकर 55 मिनिट तक अमृत का चौघड़िया, तथा सूर्यास्त के बाद 5 बजकर 55 मिनिट से रात्रि में 7 बजकर 30 मिनट तक चल का चौघड़िया रहेगा, जिसमें चल संपदा की पूजा भी शुभ प्रद है। रात्रि में 7 बजकर 3 मिनट तक शुभप्रद समय है। इसके साथ ही रात्रि में 10 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 15 तक लाभ का चौघड़िया रहेगा। डॉ. पं. शास्त्री ने इस संबंध में शास्त्रों में उल्लेखित मतों एवं ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों द्वारा दिए गए प्रमाणों के संदर्भ देते हुए कहा कि सम्वत 2082 में कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि सोमवार दिनांक 20 अक्टूबर 2025 को दृश्य गणित युक्त पंचांगों में दिन में अपराह्न काल 3 बजकर 45 मिनट को समाप्त होकर अमावस्या तिथि प्रारम्भ होकर दूसरे दिन मंगलवार 21 अक्टूबर 2025 को सायं काल 5 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगी। शास्त्री ने कहा कि ज्यौतिष एवं धर्म शास्त्र के मर्मज्ञ आचार्यों ने उक्त विषय में विभिन्न मतों की भिन्न भिन्न व्याख्या करते हुए ही कुछ विद्वान दिनांक 20 अक्टूबर को एवं कुछ 21अक्टूबर को प्रदोषकाल में दीपावली, श्री महालक्ष्मी पूजन का समर्थन कर रहे हैं, किंतु उन्होंने कहा कि श्री महालक्ष्मी पूजन का मुख्य कर्मकाल प्रदोषकाल ही है, और चूंकि दिनांक 20 व 21 अक्टूबर 2025 को उज्जैन में 1 मुहूर्त का मान 2 घटिका से कुछ अधिक अर्थात 50 मिनट का है, सूर्यास्त से 3 मुहूर्त 2 घंटा 30 मिनट तक प्रदोषकाल रहता है। अतः उज्जैन के सूर्यास्त काल 5 बजकर 54 मिनट से 2 घंटा 30 मिनट जोड़ने पर रात्रि में 8 बजकर 24 मिनट तक प्रदोषकाल रहेगा। उन्होंने कहा कि दिनांक 21 अक्टूबर मंगलवार को अमावस्या तिथि सायं काल 5 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगी, और ठीक इसी समय 5 बजकर 54 मिनट पर उज्जैन में सूर्यास्त होगा, ऐसी स्थिति में अमावस्या का प्रदोष काल में किंचित मात्र भी व्याप्ति नहीं होंने से 21 अक्टूबर 2025 को श्री महालक्ष्मी पूजन किया जाना और दीपावली मनाना शास्त्र सम्मत नहीं लगता, जबकि दिनांक 20 अक्टूबर को 2025 सोमवार को दिन में 3 बजकर 45 मिनट से अमावस्या का आरंभ होकर सायं संपूर्ण प्रदोषकाल को व्याप्त करती हुई रात्रिभर एवं अगले दिन तक रहती है। अतः सोमवार 20 अक्टूबर 2025 को संपूर्ण प्रदोषकाल, मुख्य कर्मकाल में श्री महालक्ष्मी पूजन एवं दीपदान किया जाना और दीपावली मनाना सम्यक रूप से शास्त्र सम्मत होगा। उन्होंने कहा कि धर्म शास्त्रों में उल्लेखित है कि देवी लक्ष्मी का शुभागमन मध्य रात्रि में भी होता है, अतः निशीथ काल में भी श्री महालक्ष्मी पूजन की जा सकती है। यह पूछे जाने पर कि अन्य स्थानों के विद्वान भी उक्त शास्त्रोक्त मत का ही अनुसरण करेंगे? डॉ शास्त्री ने कहा कि मध्य भारत क्षेत्र के करीब सभी जिलों में सोमवार 20 अक्टूबर को ही दीपावली मनाया जाना एवं श्री महालक्ष्मी पूजन किए जाने को लेकर विद्वानों द्वारा व्यापक रूप से सहमति जताई गई है, किंतु महाराष्ट्र राज्य में इस तिथि को लेकर मतैक्य नहीं है।
