कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क ।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को राजधानी के भारत मंडपम में एशिया की सबसे बड़ी रेलवे और परिवहन प्रदर्शनी- 16वीं अंतरराष्ट्रीय रेलवे उपकरण प्रदर्शनी (आईआरईई 2025) का उद्घाटन किया। यह तीन दिवसीय प्रदर्शनी 17 अक्टूबर तक दर्शकों के लिए खुली रहेगी। आयोजन का मुख्य उद्देश्य रेलवे क्षेत्र में नवाचार, आधुनिकीकरण और आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करना है। इस अवसर पर सीआईआई (भारतीय उद्योग परिसंघ) और गति शक्ति विश्वविद्यालय के बीच कौशल विकास और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। इसके अलावा सीआईआई और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने संयुक्त रूप से “ऑन द राइट ट्रैक” शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें भारतीय रेलवे में हो रहे परिवर्तन और विकास की दिशा पर प्रकाश डाला गया है। रेल मंत्री वैष्णव ने प्रदर्शनी के उद्घाटन सत्र में कहा कि आईआरईई, भारतीय रेलवे के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है, जिसमें करीब 15 देशों के उपकरण निर्माता और बड़ी संख्या में एमएसएमई इकाइयां भाग ले रही हैं। यह समय है जब हमें अपने उपकरणों की गुणवत्ता, रेलवे के आधुनिकीकरण और नई तकनीकों के प्रयोग पर गंभीरता से पुनर्विचार करना होगा। उन्होंने बताया कि पिछले 11 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में रेलवे के क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव हुए हैं। अब तक 35,000 किलोमीटर नई पटरियां बिछाई गई हैं। देश में 156 वंदे भारत एक्सप्रेस, 30 अमृत भारत और 4 नमो भारत ट्रेनें चल रही हैं, जो यात्रियों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय हैं। वर्तमान में भारतीय रेलवे प्रतिवर्ष लगभग 7,000 कोच तैयार कर रहा है। रेल मंत्री ने रेलवे की लंबी दूरी की ट्रेनों के लिए पुश-पुल तकनीक अपनाने की दिशा में भी जोर दिया। उन्होंने बताया कि भारत में लगभग 2,500 से 3,000 किलोमीटर लंबी यात्राओं के लिए यह तकनीक अत्यंत उपयोगी होगी। आने वाले वर्षों में सभी लंबी दूरी की ट्रेनों में इस तकनीक को शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे अब नई पीढ़ी के अमृत भारत 4.2 ट्रेनसेट और नई जनरेशन पैसेंजर लोकोमोटिव के विकास पर कार्य कर रहा है, जिसका लक्ष्य अगले 36 महीनों में इसे पटरी पर उतारने का है। गुणवत्ता नियंत्रण पर कड़ा संदेश देते हुए वैष्णव ने सभी उपकरण निर्माताओं को चेतावनी दी कि कम गुणवत्ता वाले उपकरणों और पुर्जों की आपूर्ति करने वाली कंपनियों के प्रति कोई नरमी नहीं बरती जाएगी। उन्होंने कहा कि रेलवे बोर्ड को निर्देश दिया गया है कि उत्पादन प्रक्रिया, गुणवत्ता जांच और सामग्री चयन में सख्त निरीक्षण प्रणाली लागू की जाए। रेल मंत्री ने कहा कि रेलवे अब हाइड्रोजन-पावर ट्रेन जैसी उन्नत तकनीकों पर भी आत्मनिर्भर रूप से काम कर रहा है। हमने हाइड्रोजन ट्रेन का डिज़ाइन पूरी तरह अपने इंजीनियरों द्वारा तैयार किया है। यह 2400 किलोवाट की क्षमता वाली आधुनिक तकनीक है, जो भविष्य की दिशा तय करेगी। कौशल विकास पर जोर देते हुए वैष्णव ने कहा कि गति शक्ति विश्वविद्यालय अब उद्योगों के साथ साझेदारी कर आधुनिक प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रहा है। यह संस्थान तीन वर्षों में मजबूत रूप ले चुका है और अब उद्योगों की जरूरतों के अनुसार तीन सप्ताह से लेकर छह वर्ष तक के पाठ्यक्रम तैयार कर रहा है। सभी कंपनियों को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने घोषणा की कि रेलवे अगले तीन वर्षों में पुल और सुरंग डिज़ाइन के क्षेत्र में विशेष सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करेगा, जिसमें लगभग 100 विशेषज्ञ डिजाइनर कार्य करेंगे। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के साथ साझेदारी और अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाएगा।आईआरईई 2025 का यह आयोजन भारतीय रेलवे के तकनीकी और औद्योगिक बदलाव का प्रतीक बनकर उभरा है।