कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क। हाल ही में जारी रिपोर्ट्स और आर्थिक विश्लेषणों के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था में वित्तीय वर्ष 2025 के लिए विकास दर (GDP Growth Rate) 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है। यह अनुमान भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती के संकेत देता है, जो पिछले कुछ समय से चर्चा का विषय बना हुआ है।
अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने कई चुनौतियाँ हैं, जैसे घरेलू मांग की कमजोरी, वैश्विक आर्थिक परिस्थितियाँ, महंगाई और ब्याज दरों में वृद्धि, जो विकास दर को प्रभावित कर सकती हैं। इसके बावजूद, सरकार ने कुछ सुधारात्मक कदम उठाने की कोशिश की है, जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर पर निवेश और विनिर्माण क्षेत्र में बढ़ोतरी के प्रयास।
मंगलवार को सरकार ने जीडीपी का आंकड़ा जारी किया है. इसके तहत अग्रिम अनुमानों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 6.4% की की दर से बढ़ने का अनुमान है, जो चार साल का निचला स्तर है और वित्त वर्ष 24 में दर्ज 8.2% की ग्रोथ से तेज गिरावट है. यह अनुमान मार्च 2025 को समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के हालिया अनुमान 6.6 प्रतिशत से कम है।
हालांकि, यह वृद्धि दर कई अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले अच्छी मानी जा रही है, फिर भी इसकी सुस्ती भारतीय बाजारों और आम नागरिकों पर असर डाल सकती है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यदि सरकार द्वारा और अधिक आर्थिक सुधार और नीति समर्थन प्रदान किए जाते हैं तो स्थिति में सुधार हो सकता है। यदि आप इस पर अधिक विस्तार से जानना चाहते हैं या किसी विशेष बिंदु पर चर्चा करना चाहते हैं, तो कृपया बताएं!