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विदेशों में भी गूंज रही है 'गणपति बप्पा मोरया', जानें किन देशों में होती है विशेष पूजा

गणेश चतुर्थी 2025
  • By Kanhwizz Times
  • Reported By: Kritika pandey
  • Updated: August 27, 2025

कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क ।

गणेश चतुर्थी 2025 का पर्व इस बार 27 अगस्त को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा। भारत में यह त्योहार बेहद खास होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान गणेश से जुड़ा यह उत्सव सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं है? दुनिया के कई अन्य देशों में भी यह पर्व पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। आइए जानते हैं उन 4 प्रमुख देशों के बारे में, जहां गणेश उत्सव की गूंज भारत से बाहर भी सुनाई देती है।

1. नेपाल:
भारत का पड़ोसी देश नेपाल सांस्कृतिक रूप से भारत से गहरे जुड़ा हुआ है। यहां गणेश चतुर्थी को 'विनायक चतुर्थी' के नाम से जाना जाता है। खासकर काठमांडू और चांगु नारायण मंदिरों में भारी संख्या में भक्त एकत्र होकर भगवान गणेश की पूजा करते हैं। नेपाल में यह पर्व बुद्धि, ज्ञान और विघ्नों को दूर करने की भावना के साथ मनाया जाता है।

2. मॉरीशस:
अफ्रीका के पूर्वी तट पर स्थित मॉरीशस को 'छोटा भारत' भी कहा जाता है। यहां भारतीय मूल के लोगों की बड़ी आबादी है जो हर साल गणेश चतुर्थी को बड़े भव्य तरीके से मनाते हैं। भारत की तरह सार्वजनिक पंडाल सजाए जाते हैं, गणेश प्रतिमाएं स्थापित होती हैं और दस दिन तक भक्ति, पूजा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।

3. इंडोनेशिया (बाली):
बाली में हिंदू धर्म की एक विशेष पहचान है। यहां भगवान गणेश को 'देवता गणेश' कहा जाता है और वे ज्ञान, कला और बुद्धि के प्रतीक माने जाते हैं। बाली में गणेश चतुर्थी प्रतीकात्मक तरीके से मनाई जाती है, जहां मूर्ति विसर्जन के बजाय मंदिरों में पूजा और विशेष प्रसाद अर्पित किए जाते हैं। पारंपरिक बाली कला में गणेश जी का चित्रण आम है।

4. थाईलैंड:
थाईलैंड में भगवान गणेश को ‘फिकानेट’ कहा जाता है। वे यहां सफलता और समृद्धि के देवता माने जाते हैं। भले ही यहां भारत जैसी गणेश चतुर्थी न मनाई जाती हो, लेकिन बैंकॉक जैसे शहरों में स्थित गणेश मंदिरों में लोग नियमित रूप से पूजा करते हैं। यही नहीं, थाईलैंड में भगवान गणेश की दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति भी स्थित है, जो श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र है।

गणेश चतुर्थी का पर्व अब केवल भारत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह एक वैश्विक उत्सव बन चुका है। नेपाल, मॉरीशस, इंडोनेशिया और थाईलैंड जैसे देशों में भी यह पर्व उतनी ही श्रद्धा से मनाया जाता है, जितना भारत में। यह भारतीय संस्कृति की वैश्विक पहचान और उसकी सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।

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