कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क। कोलकाता में 2024 के दुर्गा पूजा उत्सव का शानदार समापन हुआ, जहां इस वर्ष के पुरस्कारों की घोषणा की गई। यह उत्सव पश्चिम बंगाल की सांस्कृतिक धरोहर का एक अभिन्न हिस्सा है और यहां के लोग इसे अत्यधिक श्रद्धा और जोश के साथ मनाते हैं। चार दिनों तक चले इस भव्य उत्सव के दौरान कोलकाता के विभिन्न पूजा पंडालों ने अपनी अनूठी सजावट, थीम और सामाजिक संदेशों से हर किसी का ध्यान आकर्षित किया। इस वर्ष, विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कारों का ऐलान किया गया, जो पंडालों की कला, सजावट और सांस्कृतिक महत्व को मान्यता देने के लिए थे।
दुर्गा पूजा के पुरस्कार और श्रेणियां
कोलकाता में दुर्गा पूजा सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक महाकुंभ भी है, जिसमें कला, रंगमंच, संगीत, नृत्य और विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इस बार के पुरस्कारों की घोषणा के दौरान विभिन्न श्रेणियों में विजेताओं की घोषणा की गई:
1. सर्वश्रेष्ठ पूजा पंडाल:
इस वर्ष का सबसे बड़ा पुरस्कार ‘सर्वश्रेष्ठ पूजा पंडाल’ श्रेणी में बड़ाबाजार दुर्गा पूजा को मिला। पंडाल का थीम “प्राकृतिक संरक्षण और पर्यावरण” था, जिसमें विशेष रूप से पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने के लिए जागरूकता फैलाने पर जोर दिया गया था। पंडाल में इस्तेमाल किए गए मटीरियल पूरी तरह से इको-फ्रेंडली थे और यह स्थानीय कारीगरों द्वारा हाथ से तैयार किए गए थे।
2. सर्वश्रेष्ठ सजावट और डिज़ाइन:
हावड़ा ब्रिज दुर्गा पूजा को इस श्रेणी में पुरस्कार मिला। हावड़ा ब्रिज के डिजाइन को प्रदर्शित करते हुए, पंडाल के अंदर एक छोटे से मॉडल को प्रस्तुत किया गया, जो कोलकाता के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता था। पंडाल की सजावट और डिज़ाइन ने इसे अन्य पंडालों से अलग और विशिष्ट बना दिया।
3. सर्वश्रेष्ठ सांस्कृतिक कार्यक्रम:
इस वर्ष का यह पुरस्कार शोभाजी दुर्गा पूजा को दिया गया, जो अपने सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए प्रसिद्ध है। इस पंडाल में विभिन्न पारंपरिक नृत्य और संगीत समारोहों का आयोजन किया गया, जिसमें कोलकाता के स्थानीय कलाकारों ने प्रदर्शन किया।
4. सर्वश्रेष्ठ सामाजिक संदेश:
राजा बारी दुर्गा पूजा को इस श्रेणी में पुरस्कार मिला, जो समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए अपने पंडाल में हर साल एक सामाजिक संदेश प्रस्तुत करता है। इस वर्ष का विषय “शिक्षा का अधिकार” था और पंडाल में शिक्षा से जुड़े विभिन्न पहलुओं को उजागर किया गया।
5. सर्वश्रेष्ठ महिला नेतृत्व:
इस श्रेणी में महिला शक्ति दुर्गा पूजा को पुरस्कार मिला। इस पूजा पंडाल का उद्देश्य महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना था, और इसे पूरी तरह से महिलाओं द्वारा चलाया गया था। पंडाल में महिलाओं की भागीदारी को विशेष रूप से प्रदर्शित किया गया और उनके योगदान की सराहना की गई।
दुर्गा पूजा 2024: थीम और विशेषताएँ
इस साल दुर्गा पूजा के पंडालों की सजावट और थीम ने पारंपरिक और आधुनिकता का बेहतरीन मिश्रण पेश किया। कुछ पंडालों ने पारंपरिक सांस्कृतिक तत्वों को महत्व दिया, जबकि कुछ ने समकालीन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। पर्यावरणीय मुद्दों, महिला सशक्तिकरण, और सामाजिक न्याय जैसे विषयों पर आधारित पंडालों ने इस वर्ष के उत्सव को और भी प्रासंगिक और प्रभावशाली बना दिया।
प्रसिद्ध पूजा पंडालों की उपस्थिति
कोलकाता के विभिन्न हिस्सों में बड़े पूजा पंडालों में लाखों भक्तों ने हिस्सा लिया। इन पंडालों की भव्यता और सुंदरता ने स्थानीय समुदाय के साथ-साथ विदेशी पर्यटकों को भी आकर्षित किया। कोलकाता के प्रमुख पूजा पंडालों जैसे बड़ाबाजार, हावड़ा ब्रिज, गारियाहाट, और शोभाजी ने अपनी अलग-अलग थीम और अनूठी सजावट से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस साल, महामारी के कारण जो सामाजिक दूरी और अन्य प्रतिबंध लगाए गए थे, अब वे कम हुए हैं, और लोग उत्सव में अधिक खुलकर भाग ले रहे हैं। इस वजह से दुर्गा पूजा उत्सव में पहले से कहीं अधिक रौनक और उमंग देखने को मिली।
राज्य सरकार का समर्थन और निवेश
पश्चिम बंगाल सरकार ने इस बार दुर्गा पूजा उत्सव को और भी भव्य बनाने के लिए विशेष उपाय किए। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि राज्य सरकार ने पूजा समितियों को अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान की है, ताकि वे बेहतर और पर्यावरणीय दृष्टि से सुरक्षित पूजा आयोजित कर सकें। इसके साथ ही राज्य सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया और पंडालों में भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अधिक पुलिस बल तैनात किए। दुर्गा पूजा को लेकर कोलकाता में हर साल एक तरह का पर्यटन उत्सव सा माहौल बनता है, जो न केवल राज्य बल्कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को भी आकर्षित करता है। इस बार भी कोलकाता के दुर्गा पूजा पंडालों ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति दी और व्यापारियों, होटल उद्योग, और ट्रांसपोर्ट सेक्टर को लाभ पहुंचाया। कोलकाता का दुर्गा पूजा उत्सव केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक जागरूकता का प्रतीक बन चुका है। 2024 के पुरस्कारों ने न केवल कला और सजावट को सम्मानित किया बल्कि विभिन्न सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर भी प्रकाश डाला। इस भव्य उत्सव ने कोलकाता की सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक स्तर पर और भी ऊंचा किया है और यह उत्सव हर साल एक नई उम्मीद और रचनात्मकता के साथ मनाया जाता है।