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जिस काम के लिए नंबर लिया, सिर्फ उसी में होगा इस्तेमाल, बच्चों की सुरक्षा में भारतीय कानून यूरोप के GDPR से सख्त

टेक्नोलॉजी
  • By Kanhwizz Times
  • Reported By: Kanwhizz Times
  • Updated: January 28, 2025

कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क।भारत में बच्चों की सुरक्षा और डेटा प्राइवेसी के मुद्दे पर नई दिशा दी जा रही है, और इसके लिए भारतीय कानून यूरोपीय संघ के GDPR (General Data Protection Regulation) से कहीं अधिक सख्त हो सकता है। भारत सरकार ने बच्चों के लिए डेटा प्रोटेक्शन से संबंधित एक नए नियम का प्रस्ताव किया है, जो खासकर बच्चों के व्यक्तिगत डेटा के उपयोग और सुरक्षा को लेकर बेहद सख्त दिशा-निर्देश तय करेगा।

नए नियम का मुख्य उद्देश्य:
    1.    डेटा का सीमित उपयोग: बच्चों से व्यक्तिगत जानकारी जैसे मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी, या अन्य संवेदनशील डेटा केवल उसी उद्देश्य के लिए लिया जा सकेगा, जिसके लिए उन्हें पहले सूचित किया गया है। इसका मतलब है कि यदि किसी ऐप या वेबसाइट से बच्चों के डेटा लिया गया है, तो वह केवल उन्हीं उद्देश्यों में इस्तेमाल होगा, जिनके लिए माता-पिता या कानूनी अभिभावक की सहमति ली गई है। इसका उल्लंघन करने पर सख्त सजा का प्रावधान हो सकता है।
    2.    माता-पिता की सहमति: बच्चों के डेटा का संग्रहण और उपयोग करने के लिए उनके माता-पिता या कानूनी अभिभावक की स्पष्ट सहमति अनिवार्य होगी। यदि यह सहमति नहीं मिलती है तो किसी भी रूप में बच्चों का डेटा संग्रहण या उसका उपयोग करना अवैध होगा।
    3.    बच्चों के डेटा की सुरक्षा: सरकार इस बात पर जोर दे रही है कि बच्चों से लिया गया डेटा पूरी तरह से सुरक्षित रखा जाए और इसे किसी तीसरी पार्टी को बिना अनुमति के न बेचा जाए। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि डेटा का कोई भी दुरुपयोग न हो, और किसी भी प्रकार का साइबर अपराध या डेटा लीक न हो।

GDPR के मुकाबले भारतीय कानून:
    1.    GDPR (जो यूरोपीय संघ का डेटा संरक्षण कानून है) बच्चों के डेटा पर बहुत सख्त है, लेकिन भारत के प्रस्तावित कानून में कुछ अतिरिक्त सुरक्षा प्रावधानों की उम्मीद जताई जा रही है। उदाहरण के लिए, GDPR में 13 से 16 साल के बच्चों से डेटा लेने के लिए अभिभावकों की सहमति आवश्यक होती है, जबकि भारतीय कानून में यह प्रावधान और भी सख्त हो सकता है।
    2.    GDPR के तहत कंपनियों को डेटा संरक्षण के संबंध में एक सख्त पॉलिसी अपनानी होती है, लेकिन भारत में यह सिस्टम और सख्ती अधिक सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है ताकि बच्चों की सुरक्षा का स्तर और भी ज्यादा बढ़ सके।

बच्चों के डेटा का दुरुपयोग रोकने के उपाय:
    1.    निजता का उल्लंघन रोकने के लिए सख्त सजा: यदि कोई संस्था बच्चों का डेटा गलत उद्देश्य के लिए इस्तेमाल करती है, तो उसे भारी जुर्माना या सजा का सामना करना पड़ सकता है। भारतीय कानून बच्चों की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए इसका उल्लंघन करने वालों पर कठोर कार्रवाई करेगा।
    2.    डेटा को केवल आवश्यक समय तक संग्रहित करना: बच्चों का डेटा केवल उस समय तक ही रखा जाएगा जब तक उसका इस्तेमाल आवश्यक हो। डेटा को लंबे समय तक रखने से संबंधित प्रावधानों को स्पष्ट किया जाएगा, जिससे गलत उपयोग और लीक की संभावनाओं को घटाया जा सके।

क्या होगा बच्चों को फायदा?
    1.    सुरक्षित डिजिटल अनुभव: बच्चों के लिए डिज़ाइन किए गए ऐप्स, वेबसाइट्स, और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर अब खतरों को घटाने के लिए कड़े नियम होंगे। इसका उद्देश्य बच्चों को सुरक्षित और नियंत्रित डिजिटल वातावरण प्रदान करना है, ताकि वे बिना किसी चिंतित हुए इन प्लेटफॉर्म्स का उपयोग कर सकें।
    2.    साइबर अपराध से सुरक्षा: व्यक्तिगत जानकारी का सही तरीके से उपयोग और उसकी सुरक्षा के लिए अधिक सख्त उपायों से बच्चों को साइबर अपराध से सुरक्षा मिलेगी। उदाहरण के लिए, ऑनलाइन प्राइवेसी और सामाजिक नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म्स पर सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगा ।

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