कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क। आज दत्तात्रेय जयंती 2024 है, जो हिंदू धर्म में एक प्रमुख त्योहार के रूप में मनाई जाती है। यह दिन भगवान दत्तात्रेय के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर के अवतार माने जाते हैं। दत्तात्रेय जयंती विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटका, आंध्र प्रदेश और गुजरात में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। भगवान दत्तात्रेय की पूजा से भक्तों को मानसिक शांति, समृद्धि, और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
दत्तात्रेय जयंती 2024 पूजा मुहूर्त
• तिथि: 14 दिसंबर 2024 (शनिवार)
• पूजा मुहूर्त:
पूजा का शुभ समय दिनभर रहेगा, लेकिन विशेष रूप से दोपहर 12:00 बजे से 1:30 बजे तक का समय अत्यंत शुभ माना जाता है। इस समय भगवान दत्तात्रेय की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
• द्रव्य अर्पण: पूजा के दौरान ताजे फल, दूध, जल, और विशेष रूप से तिल का उपयोग करें।
दत्तात्रेय जयंती पूजा विधि
1. स्नान और शुद्धि:
• पूजा से पहले नित्यकर्मों से स्नान करें और शुद्ध वस्त्र पहनें।
• इसके बाद स्वच्छ स्थान पर भगवान दत्तात्रेय की पूजा की तैयारी करें।
2. भगवान दत्तात्रेय की मूर्ति या चित्र की स्थापना:
• पूजा स्थल पर भगवान दत्तात्रेय का चित्र या मूर्ति स्थापित करें। भगवान दत्तात्रेय के तीन मुख होते हैं— एक ब्रह्मा, दूसरा विष्णु, और तीसरा शिव का रूप होता है।
• इनकी पूजा करने से जीवन के हर पहलु में संतुलन और शक्ति मिलती है।
3. दीपक और धूपबत्ती:
• पूजा स्थल पर दीपक जलाएं और धूपबत्ती का उपयोग करें।
• भगवान दत्तात्रेय के चरणों में तिल, चावल, फूल और ताजे फल अर्पित करें।
4. पानी और तिल चढ़ाना:
• भगवान दत्तात्रेय को ताजे जल से अभिषेक करें और तिल अर्पित करें। तिल शनि और दत्तात्रेय के प्रिय होते हैं, इसलिए इसका विशेष महत्व है।
5. मंत्र जाप:
• पूजा के दौरान भगवान दत्तात्रेय के विशेष मंत्रों का जाप करें:
• मंत्र 1:
“ॐ दत्तात्रेया नमः”
• मंत्र 2:
“ॐ ह्लीं दत्तात्रेया विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो दत्तात्रेय: प्रचोदयात्”
इन मंत्रों का जाप करने से भगवान दत्तात्रेय की कृपा प्राप्त होती है और सभी कष्ट दूर होते हैं।
6. भोग अर्पित करें:
• पूजा के बाद भगवान को लड्डू, खीर, या अन्य मिठाइयाँ अर्पित करें। इसके बाद परिवार के सभी सदस्य इन भोगों को प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।
7. दान और व्रत:
• इस दिन दीन-हीन लोगों को तिल, कपड़े या भोजन का दान करें।
• विशेष रूप से दत्तात्रेय जयंती के दिन व्रत रखने से पुण्य मिलता है।
दत्तात्रेय जयंती के लाभ
• मानसिक शांति: भगवान दत्तात्रेय की पूजा से मानसिक शांति और संतुलन मिलता है।
• समृद्धि: इस दिन पूजा करने से आर्थिक संकटों से छुटकारा मिलता है और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।
• शनि दोष का निवारण: दत्तात्रेय को शनि ग्रह से जुड़ा हुआ माना जाता है, इसलिए इस दिन पूजा करने से शनि दोष समाप्त होते हैं।
• जीवन में सुधार: भगवान दत्तात्रेय के आशीर्वाद से जीवन में खुशहाली और समस्याओं का समाधान मिलता है।
दत्तात्रेय जयंती का महत्व
दत्तात्रेय जयंती का महत्व विशेष रूप से गुरु-शिष्य परंपरा में है। भगवान दत्तात्रेय को गुरु के रूप में पूजा जाता है और वह ज्ञान और सत्य के प्रतीक माने जाते हैं। इस दिन विशेष रूप से गुरु की पूजा और आशीर्वाद प्राप्त करने से जीवन में सफलता और उन्नति के रास्ते खुलते हैं।
दत्तात्रेय के 3 रूप और उनकी विशेषताएँ:
1. ब्रह्मा रूप: ब्रह्मा के रूप में भगवान दत्तात्रेय ब्रह्मा का ज्ञान और सृजनात्मकता प्रदान करते हैं।
2. विष्णु रूप: विष्णु के रूप में भगवान दत्तात्रेय पालन और रक्षण का कार्य करते हैं।
3. शिव रूप: शिव के रूप में भगवान दत्तात्रेय विध्वंस और पुनर्निर्माण की शक्ति का प्रतीक होते हैं।
दत्तात्रेय जयंती का यह पवित्र पर्व भगवान दत्तात्रेय की पूजा, आशीर्वाद, और कृपा प्राप्त करने का एक उत्तम अवसर है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और मानसिक संतुलन आता है। विशेष रूप से पूजा के मुहूर्त का ध्यान रखते हुए, उपरोक्त विधियों और मंत्रों का पालन करें, और भगवान दत्तात्रेय से आशीर्वाद प्राप्त करें।