कैनवीज़ टाइम्स, डिजिटल डेस्क ।
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने मकान और फ्लैटों के रेंट एग्रीमेंट (किराया अनुबंध) के पंजीकरण नियमों में बड़ा बदलाव किया है। राज्य सरकार ने रेंट एग्रीमेंट पंजीकरण पर लगने वाली स्टांप ड्यूटी को कम कर दिया है, जिससे अब किराया अनुबंध पंजीकृत कराना सस्ता हो जाएगा।
स्टांप ड्यूटी में की गई कटौती:
एक लाख रुपये तक के वार्षिक किराये पर: केवल 500 रुपये।
एक लाख से तीन लाख रुपये वार्षिक किराया: 1,000 रुपये।
तीन लाख से छह लाख रुपये वार्षिक किराया: 2,000 रुपये।
पांच वर्ष की अवधि के एग्रीमेंट पर: 1,500 से 6,000 रुपये।
दस वर्ष की अवधि के एग्रीमेंट पर: 2,000 से 8,000 रुपये।
क्यों जरूरी है रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट?
सरकार का मानना है कि स्टांप ड्यूटी में कमी से अधिक लोग अपने किराया अनुबंध को पंजीकृत कराएंगे, जिससे संपत्ति मालिकों को नए किराया नियंत्रण कानून का लाभ मिलेगा। इससे अदालतों में किरायेदारी संबंधी विवाद भी कम होंगे और संपत्ति स्वामी आसानी से विवादों का समाधान कर सकेंगे।
अदालतों में मामलों में कमी की उम्मीद:
अब किराया अनुबंध पंजीकृत होने पर संपत्ति स्वामी को कानूनी सुरक्षा मिलेगी और किरायेदार को सिविल कोर्ट या पुलिस से राहत नहीं मिलेगी। इससे मकान मालिक और किरायेदारों के बीच के विवाद सीधे रेंट कंट्रोल कानून के तहत सुलझाए जा सकेंगे।
योगी सरकार का कदम:
स्टांप एवं पंजीयन मंत्री रवीन्द्र जायसवाल ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर रेंट एग्रीमेंट पंजीकरण प्रक्रिया को आसान बनाने की तैयारी भी की जा रही है। प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही यह नई व्यवस्था लागू हो जाएगी।
वर्तमान स्थिति:
वर्तमान में, किराया अनुबंध पंजीकरण पर औसत वार्षिक किराये का 2 प्रतिशत स्टांप ड्यूटी देनी पड़ती है। इससे बचने के लिए ज्यादातर लोग 11 महीने का गैर-पंजीकृत एग्रीमेंट बनाते हैं, लेकिन नए नियमों के बाद यह स्थिति बदलने की संभावना है।