कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क।
भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और उनके तीन साथी 28 घंटे की यात्रा के बाद अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) पर पहुंच चुके हैं। यह मिशन भारत के लिए ऐतिहासिक है, क्योंकि शुभांशु 14 दिनों तक अंतरिक्ष में रहकर सात अहम वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे, जो भविष्य के स्पेस मिशनों को दिशा देंगे।
अंतरिक्ष में क्या कर रहे हैं शुभांशु?
शुभांशु शुक्ला का यह मिशन विज्ञान, तकनीक और चिकित्सा के क्षेत्र में नई जानकारियां प्रदान करेगा। उन्होंने स्पेस स्टेशन पहुंचने के बाद “नमस्कार फ्रॉम स्पेस” कहकर भारत को संबोधित किया और अपने मिशन को लेकर उत्साह जताया।
शुभांशु के 7 प्रमुख अंतरिक्ष प्रयोग:
1. मांसपेशियों पर माइक्रोग्रैविटी का असर
इस प्रयोग के तहत मांसपेशियों के कमजोर पड़ने की प्रक्रिया का अध्ययन किया जाएगा। भारत के Institute of Stem Cell Science and Regenerative Medicine के सहयोग से यह स्टडी मांसपेशियों से जुड़ी बीमारियों और उनके इलाज पर रोशनी डालेगी।
2. फसलों के बीजों पर माइक्रोग्रैविटी का असर
इस रिसर्च से पता चलेगा कि अंतरिक्ष की स्थिति फसलों के बीजों के जेनेटिक गुणों को कैसे प्रभावित करती है। यह भविष्य की स्पेस फार्मिंग के लिए अहम हो सकता है।
3. टार्डीग्रेड्स पर प्रयोग
टार्डीग्रेड्स दुनिया के सबसे कठोर जीव माने जाते हैं। यह प्रयोग दिखाएगा कि माइक्रोग्रैविटी का उनके शरीर पर क्या असर होता है।
4. सूक्ष्म शैवाल की स्टडी
शुभांशु जांच करेंगे कि क्या माइक्रोएल्गी अंतरिक्ष मिशनों में पोषण के लिए उपयोगी हो सकते हैं। इनका उपयोग भविष्य के लंबे मिशनों में फूड सप्लीमेंट के रूप में हो सकता है।
5. मूंग और मेथी के बीजों का अंकुरण
इस रिसर्च से यह पता चलेगा कि क्या माइक्रोग्रैविटी में बीजों को सफलतापूर्वक अंकुरित किया जा सकता है।
6. स्पेस स्टेशन में बैक्टीरिया पर रिसर्च
दो प्रकार के बैक्टीरिया पर रिसर्च की जाएगी ताकि अंतरिक्ष में उनकी प्रतिक्रिया और संभावित खतरों को समझा जा सके।
7. कंप्यूटर स्क्रीन का आंखों पर असर
माइक्रोग्रैविटी में लंबे समय तक स्क्रीन देखने से आंखों पर क्या असर पड़ता है, यह अध्ययन डिजिटल स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण होगा।
मिशन की विशेषताएं:
अंतरिक्ष यान 'ड्रैगन' 28 घंटे की यात्रा के बाद 20 मिनट पहले स्पेस स्टेशन से सफलतापूर्वक डॉक हुआ।
डॉकिंग एक ऑटोमेटेड प्रक्रिया थी, जिसकी जांच करीब 2 घंटे तक की गई।
शुभांशु के साथ अंतरिक्ष में मौजूद क्रू सदस्य अमेरिका और यूरोप से हैं।
यह मिशन भारत के वैज्ञानिक और स्पेस प्रोग्राम के लिए एक बड़ा कदम है। शुभांशु शुक्ला की यह 14 दिवसीय यात्रा न केवल अनुसंधान को दिशा देगी, बल्कि अगली पीढ़ी के अंतरिक्ष मिशनों की नींव भी रखेगी।