कैनवीज टाइम्स/डिजिटल डेस्क/लखनऊ। महाभारत की कथा में श्रीकृष्ण और इरावन के विवाह का एक अनोखा और दिलचस्प प्रसंग है। यह विवाह महाभारत युद्ध से पहले हुआ था और इसका कारण इरावन की मृत्यु के समय एक विशेष वरदान प्राप्त करना था। इरावन, जो पांडवों के लिए एक महान योद्धा थे, उनका विवाह श्रीकृष्ण से क्यों हुआ, इसे समझने के लिए महाभारत के कथानक को जानना जरूरी है।
इरावन, अर्जुन और उलूपी के बेटे थे। उनका जीवन कई महत्वपूर्ण घटनाओं से भरा था। जब महाभारत युद्ध का समय नजदीक आया, तो इरावन ने श्रीकृष्ण से आशीर्वाद लेने के लिए एक अद्भुत वचन लिया। इरावन ने यह शर्त रखी कि यदि वह युद्ध में भाग लें तो उनका जीवन सुखमय होना चाहिए। इसके बाद श्रीकृष्ण ने इरावन से कहा कि युद्ध के बाद यदि वह मारे जाएं तो उनकी आत्मा को शांति मिले, इसके लिए उनका विवाह होना चाहिए।
श्रीकृष्ण ने इरावन से वादा किया कि वह स्वयं उसके साथ विवाह करेंगे। यह विवाह एक प्रतीकात्मक कदम था, जिसमें इरावन ने अपने जीवन के अंतिम समय को सम्मानित और संपूर्ण रूप से जीने का अवसर पाया। इसके बाद, श्रीकृष्ण ने इरावन के साथ एक दिन का विवाह किया, जिसमें देवी और देवताओं की भी उपस्थिति थी।
महाभारत में इसे एक तरह से सामाजिक और धार्मिक परंपरा के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिसमें श्रीकृष्ण ने इरावन के शौर्य और बलिदान को सम्मानित किया। इस विवाह से इरावन को न केवल व्यक्तिगत संतुष्टि मिली, बल्कि यह महाभारत के युद्ध में उसकी वीरता के लिए एक आशीर्वाद भी बन गया।
यह घटना महाभारत में यह भी दर्शाती है कि श्रीकृष्ण ने अपने भक्तों और अनुयायियों के कल्याण के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते थे। उनका यह कदम उनके दया और करुणा को दर्शाता है, जो हमेशा अपने भक्तों की रक्षा और उनके भले के लिए काम करते थे।