कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क।उत्तर प्रदेश में 2025 के महाकुंभ मेले के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा के आने की संभावना जताई जा रही है। कांग्रेस ने इस बार महाकुंभ को एक महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर के रूप में देखा है, जहां वे धर्म, समाज और राजनीति के बीच संतुलन साधने का प्रयास करेंगे। महाकुंभ की पवित्र नदियों में डुबकी लगाने के साथ-साथ कांग्रेस इस अवसर का उपयोग भाजपा और सपा पर राजनीतिक हमले करने के लिए भी कर सकती है।
मुख्य बिंदु:
1. राहुल और प्रियंका का कुंभ यात्रा:
कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी महाकुंभ में शामिल होने के लिए प्रयागराज पहुंचेंगे। वे गंगा नदी में डुबकी लगाने के बाद साधु-संतों से मुलाकात करेंगे और वहां आयोजित धार्मिक आयोजनों में भी भाग लेंगे। उनका उद्देश्य महाकुंभ के धार्मिक माहौल का लाभ उठाकर कांग्रेस पार्टी की छवि को फिर से संवारना और उत्तर प्रदेश में अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करना है।
2. अखिलेश यादव पर हमला:
महाकुंभ के दौरान कांग्रेस ने इस बार सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर हमला करने का इरादा किया है, जो धार्मिक मुद्दों पर राजनीति करने के आरोपों के घेरे में हैं। कांग्रेस का मानना है कि अखिलेश यादव अपने राजनीतिक लाभ के लिए धर्म और धार्मिक भावनाओं का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं, और यह मुद्दा आगामी उपचुनावों में पार्टी को फायदा पहुंचा सकता है। राहुल और प्रियंका दोनों ने ही हमेशा से धर्मनिरपेक्षता की बात की है और वे इस बात पर जोर देंगे कि धर्म का उपयोग राजनीति के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
3. धार्मिक और राजनीतिक तासीर:
कांग्रेस के लिए महाकुंभ एक ऐसा अवसर हो सकता है, जहां वे जनता के बीच अपनी धार्मिक छवि को निखार सकें, जो खासकर भाजपा और सपा जैसे क्षेत्रीय दलों के मुकाबले कांग्रेस की अलग पहचान बनाने में मदद कर सकती है। कांग्रेस के लिए यह समय उत्तर प्रदेश के हिंदू मतदाताओं से जुड़ने का भी हो सकता है, खासकर तब जब भाजपा और सपा के बीच धार्मिक मुद्दों पर प्रतिस्पर्धा चल रही है।
4. महाकुंभ और कांग्रेस की रणनीति:
कांग्रेस इस धार्मिक अवसर का उपयोग विभिन्न जाति और धर्म के लोगों के बीच सामूहिक समरसता को बढ़ावा देने के लिए करेगी। पार्टी का उद्देश्य यह है कि वह न सिर्फ महाकुंभ के धार्मिक महत्व का सम्मान करती है, बल्कि इसे एक मंच के रूप में इस्तेमाल करके उत्तर प्रदेश में भाजपा और सपा की चुनावी रणनीतियों का मुकाबला कर सके।
5. राजनीतिक जवाब और मुकाबला:
कांग्रेस की यह योजना अखिलेश यादव द्वारा धार्मिक मुद्दों पर राजनीति करने का जवाब देने के तौर पर देखी जा रही है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का महाकुंभ में आना और वहां से एक धर्मनिरपेक्ष राजनीति का संदेश देना, सपा और भाजपा की रणनीतियों को चुनौती देने जैसा होगा। कांग्रेस यह संदेश देना चाहती है कि धर्म और राजनीति को अलग रखा जाना चाहिए और धर्म का इस्तेमाल केवल वोट बैंक बनाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।