कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क। महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों एक नया मोड़ आता दिख रहा है, जब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तारीफ शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में की गई। यह तारीफ उस समय हुई जब दोनों प्रमुख दल, भाजपा और शिवसेना, राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बने हुए हैं। फडणवीस के नेतृत्व में भाजपा की सरकार महाराष्ट्र में है, जबकि शिवसेना का नेतृत्व उद्धव ठाकरे के पास है। ‘सामना’ में मुख्यमंत्री फडणवीस की तारीफ को एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संकेत माना जा रहा है, क्योंकि यह शिवसेना द्वारा की गई एक अप्रत्याशित सराहना है। मुख्यमंत्री फडणवीस की तारीफ का मुख्य कारण उनका राज्य के विकास में योगदान और प्रभावशाली नेतृत्व बताया गया। यह कदम उन रिपोर्टों के बीच आया है जिनमें कहा गया कि शिवसेना और भाजपा के बीच आगामी समय में सियासी समीकरणों में बदलाव हो सकता है। ‘सामना’ में प्रकाशित इस लेख को शिवसेना के अंदरूनी राजनीति का हिस्सा भी माना जा रहा है, जिसमें वे भाजपा से रिश्तों को फिर से सुधारने के संकेत दे सकते हैं।
संजय राउत का बयान:
फडणवीस की तारीफ के बाद, शिवसेना के वरिष्ठ नेता और सांसद संजय राउत ने भी बयान दिया, जो और अधिक रहस्य उत्पन्न करता है। राउत ने कहा, “किसी भी नेता का सम्मान किया जाना चाहिए, जो अपनी जिम्मेदारी निभाता है और राज्य के विकास के लिए काम करता है।” उनका यह बयान साफ तौर पर इस ओर इशारा करता है कि शिवसेना भाजपा से किसी भी संभावित सहयोग को लेकर लचीलापन दिखा सकती है, हालांकि उन्होंने सीधे तौर पर किसी समझौते की बात नहीं की। यह बयान महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना के बीच रिश्तों में संभावित thaw (तापमान में कमी) को दिखा सकता है, खासकर तब जब राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव करीब हैं। यह स्थिति तब आई है जब उद्धव ठाकरे की पार्टी और भाजपा के बीच 2019 में गठबंधन टूट गया था, जिसके बाद दोनों दल एक-दूसरे के प्रमुख राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बन गए थे।
सियासी समीकरण में बदलाव के संकेत:
राजनीतिक विश्लेषक इस घटनाक्रम को महाराष्ट्र की सियासत में एक संभावित बदलाव के रूप में देख रहे हैं। मुख्यमंत्री फडणवीस की तारीफ और संजय राउत का बयान यह संकेत दे रहे हैं कि महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना के रिश्तों में संभावित पुनर्विचार हो सकता है। आगामी विधानसभा चुनावों से पहले, यह संकेत राजनीतिक माहौल में गहरी हलचल पैदा कर सकते हैं, क्योंकि दोनों दलों के बीच किसी भी सहयोग या साझेदारी से राज्य की राजनीति पर बड़ा असर पड़ सकता है। इस बीच, अन्य प्रमुख दल जैसे कांग्रेस और एनसीपी इस बदलाव के बारे में सतर्क हैं। वे यह देखेंगे कि क्या शिवसेना भाजपा से फिर से गठबंधन करती है या राज्य की राजनीति में अन्य बदलाव होते हैं। कुछ राजनीतिक पर्यवेक्षक यह भी मान रहे हैं कि यह बयान केवल चुनावी रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जो दोनों दलों के बीच की प्रतिद्वंद्विता को और बढ़ा सकता है। महाराष्ट्र की सियासत में यह घटनाक्रम आने वाले समय में और जटिल हो सकता है। मुख्यमंत्री फडणवीस की तारीफ और संजय राउत का बयान दोनों दलों के रिश्तों में नए समीकरण की ओर इशारा कर रहे हैं, और यह देखने वाली बात होगी कि इस तरह के बदलाव राज्य के चुनावी नतीजों पर कैसे असर डालते हैं।