कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क।उत्तराखंड राज्य में Uniform Civil Code (UCC) की नियमावली पर उत्तराखंड कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी है। यह कदम राज्य सरकार के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकता है, क्योंकि इसका उद्देश्य विभिन्न धर्मों और जातियों के बीच समान कानून लागू करना है। सूत्रों के मुताबिक, 26 जनवरी 2024 से इसे लागू किए जाने की संभावना है, जो भारतीय गणतंत्र दिवस के अवसर पर एक महत्वपूर्ण क़दम होगा।
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC)?
यूनिफॉर्म सिविल कोड का उद्देश्य भारत में सभी नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता तैयार करना है, जो विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, संपत्ति अधिकार और अन्य पारिवारिक मामलों में समान कानून लागू करेगा। इस कानून का मुख्य उद्देश्य विभिन्न धर्मों और समुदायों के बीच भेदभाव को समाप्त करना और समानता को बढ़ावा देना है।
उत्तराखंड में UCC की मंजूरी
उत्तराखंड राज्य सरकार ने अपनी कैबिनेट बैठक में Uniform Civil Code की नियमावली को मंजूरी दी, जिसमें राज्य के सभी नागरिकों के लिए समान कानूनी प्रावधानों को लागू करने की योजना है। राज्य सरकार के अधिकारियों का कहना है कि यह कदम एक समावेशी समाज बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसमें सभी नागरिकों को समान अधिकार और कर्तव्यों का पालन करना होगा, बिना किसी धार्मिक या जातीय भेदभाव के।
26 जनवरी से लागू हो सकता है UCC
उत्तराखंड सरकार के सूत्रों के अनुसार, 26 जनवरी 2024 को गणतंत्र दिवस के अवसर पर Uniform Civil Code को लागू किया जा सकता है। यदि यह लागू होता है, तो उत्तराखंड भारत के उन राज्यों में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने अपनी व्यवस्था में UCC को लागू किया है, जिससे राज्य में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए समान कानूनी अधिकार सुनिश्चित होंगे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पहल को राज्य के विकास और सामाजिक समरसता के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि “यह कदम हमारे राज्य में समानता, न्याय और सद्भाव को बढ़ावा देगा, जिससे विभिन्न समुदायों के बीच एकजुटता बनेगी।”
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड का उद्देश्य किसी एक धर्म या समुदाय को विशेष लाभ देना नहीं है, बल्कि यह हर नागरिक को समान अधिकार और सुरक्षा प्रदान करना है।
UCC को लेकर समाज में मिली-जुली प्रतिक्रिया
जहां एक ओर राज्य सरकार इस कदम को ऐतिहासिक और न्यायपूर्ण मान रही है, वहीं कुछ धर्म और जातीय समूहों ने इसके खिलाफ विरोध भी जताया है। उनका कहना है कि यह उनके धार्मिक रीति-रिवाजों और परंपराओं में हस्तक्षेप कर सकता है। हालांकि, सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि इस कानून का उद्देश्य समाज में समानता और न्याय की स्थापना करना है, न कि किसी के धार्मिक अधिकारों को प्रभावित करना।