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अब दुश्मनों की नहीं चलेगी एक भी मिसाइल, ट्रंप लाए 'Golden Dome' सुरक्षा कवच

अमेरिका ने 'Golden Dome' नामक नई मिसाइल डिफेंस प्रणाली विकसित करने की योजना बनाई है। ट्रंप ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी बताया। जानिए कैसे यह तकनीक दुश्मनों की मिसाइलों को अमेरिकी सीमा में पहुंचने से पहले ही नष्ट कर देगी।
  • By Kanhwizz Times
  • Reported By: Kritika pandey
  • Updated: May 21, 2025

कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क । 

अमेरिका ने राष्ट्रीय सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए 'Golden Dome' नामक एक अत्याधुनिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम विकसित करने की घोषणा की है। इस योजना का उद्देश्य दुश्मन देशों द्वारा दागी गई मिसाइलों को अमेरिका की सीमा में प्रवेश करने से पहले ही नष्ट करना है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा करते हुए कहा कि देश अब कई शत्रु राष्ट्रों की मिसाइलों के निशाने पर है और इन खतरों से निपटने के लिए एक अचूक रक्षा प्रणाली की आवश्यकता है। ट्रंप ने इसे अमेरिका की सुरक्षा नीति में ऐतिहासिक कदम बताया।

क्या है 'Golden Dome' सिस्टम?

'Golden Dome' एक मल्टी-लेयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम होगा, जो जमीन, आकाश और अंतरिक्ष से होने वाले हमलों की तुरंत पहचान कर सकेगा और उन्हें सीमा में आने से पहले ही नष्ट कर देगा। यह प्रणाली तेज रडार, आधुनिक सेंसर्स और इंटरसेप्टर मिसाइलों से लैस होगी, जो हर प्रकार के बैलिस्टिक और क्रूज़ मिसाइल खतरे का जवाब दे सकेगी।

कौन बना रहा है यह तकनीक? 

अमेरिका की प्रमुख रक्षा उत्पाद कंपनी लॉकहीड मार्टिन इस तकनीक को विकसित करेगी। हालांकि, अमेरिकी रक्षा विभाग 'पेंटागन' को इस परियोजना के लिए 180 से अधिक कंपनियों से एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट प्राप्त हुए हैं।

कितनी होगी लागत?
 

रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, इस परियोजना पर लगभग 175 बिलियन डॉलर (लगभग 14.5 लाख करोड़ रुपये) का खर्च आएगा। यह अमेरिका की अब तक की सबसे बड़ी रक्षा परियोजनाओं में से एक मानी जा रही है।

क्यों डरा है चीन और अन्य देश?
 

विशेषज्ञों का मानना है कि इस सिस्टम के विकसित होने से अमेरिका को मिसाइल हमलों से लगभग पूरी तरह सुरक्षित माना जा सकेगा। इसका सीधा प्रभाव चीन, रूस, ईरान और उत्तर कोरिया जैसे देशों पर पड़ेगा, जो अक्सर अमेरिका को परमाणु और मिसाइल हमलों की धमकी देते हैं। Golden Dome अमेरिका की सुरक्षा रणनीति में एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है। यह न केवल तकनीकी रूप से एक क्रांतिकारी पहल है, बल्कि वैश्विक स्तर पर शक्ति संतुलन को भी प्रभावित कर सकता है।

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