कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क ।
साल 2018 की एक रात को ईरान की नींद उस वक्त उड़ गई जब इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े बेहद गोपनीय दस्तावेज चुरा लिए। इस ऑपरेशन को इतनी गुप्तता और सटीकता से अंजाम दिया गया कि ईरानी प्रशासन को काफी समय बाद इस घटना की भनक लगी। बताया जाता है कि ये दस्तावेज तेहरान के एक वेयरहाउस में रखे गए थे, जिसे ईरान सरकार ने बेहद सुरक्षित और अज्ञात माना था। लेकिन मोसाद के जासूस वहां तक पहुंचे और भारी मात्रा में फाइलों, हार्ड ड्राइव्स और सीडी को निकालकर इजरायल ले आए। इस ऑपरेशन के बाद इजरायल ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर ये दस्तावेज पेश करते हुए दावा किया था कि ईरान गुप्त रूप से परमाणु हथियार विकसित कर रहा है, जबकि सार्वजनिक रूप से वह इससे इनकार करता रहा है। यह घटना उस तनाव का हिस्सा है जो पिछले कई वर्षों से ईरान और इजरायल के बीच जारी है। वर्तमान में 13 जून से दोनों देशों के बीच शुरू हुए संघर्ष में हालात और भी गंभीर हो चुके हैं। अमेरिका सहित कई देशों की इस विवाद में भूमिका बढ़ गई है। इजरायल का स्पष्ट उद्देश्य है – ईरान को किसी भी कीमत पर परमाणु हथियार हासिल करने से रोकना। अमेरिका भी इस नीति में उसका साथ देता रहा है। यह ऑपरेशन इस दिशा में इजरायल की बड़ी खुफिया सफलता माना जाता है।