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ऋषिकेश कैसे बना योग की राजधानी? जानें आध्यात्म और संगीत से जुड़ी कहानियां

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 के मौके पर जानिए क्यों ऋषिकेश को योग की राजधानी कहा जाता है। योग, ध्यान और आध्यात्मिकता का संगम है यह नगरी, जहां हर साल दुनियाभर से लोग आते हैं योग सीखने।
  • By Kanhwizz Times
  • Reported By: Kritika pandey
  • Updated: June 20, 2025

कैनवीज़ टाइम्स , डिजिटल डेस्क ।

हर साल 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य दुनियाभर में योग के महत्व को बढ़ावा देना और इसे जीवन का हिस्सा बनाना है। जब भी योग की बात होती है, तो सबसे पहला नाम ऋषिकेश का ही आता है। उत्तराखंड में स्थित यह पवित्र नगरी आज पूरी दुनिया में "योग की राजधानी"  के रूप में जानी जाती है। ऋषिकेश को योग नगरी बनाने के पीछे आध्यात्म, संगीत और ध्यान की गहराई से जुड़ी कई कहानियां हैं। पौराणिक मान्यताओं और वेदों के अनुसार, योग की उत्पत्ति भारत में हुई थी और ऋषिकेश इसका केंद्र बना। शांत वातावरण, गंगा नदी का किनारा और हिमालय की गोद में बसा यह शहर ध्यान और साधना के लिए आदर्श स्थान है। यहां के अनेक आश्रम जैसे परमार्थ निकेतन, स्वर्ग आश्रम, शिवानंद आश्रम आदि में सालभर देश-विदेश से हजारों लोग योग और ध्यान सीखने आते हैं। उत्तराखंड टूरिज्म द्वारा यहां हर साल आयोजित किया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव भी ऋषिकेश को वैश्विक पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाता है। ऋषिकेश का संगीत और अध्यात्म का संगम इसे योगियों और साधकों के लिए खास बनाता है। यहां की गंगा आरती, कीर्तन, और सांस्कृतिक कार्यक्रम लोगों को मानसिक शांति और ऊर्जा से भर देते हैं। यही कारण है कि आज ऋषिकेश केवल भारत नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए योग का एक आध्यात्मिक केंद्र बन चुका है।

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