कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क।उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों के संदर्भ में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (SP) के बीच गठबंधन की अटकलें तेज हो गई हैं। हाल ही में कांग्रेस और SP के नेताओं के बीच कुछ मुलाकातों और चर्चाओं के बाद बीजेपी ने इस गठबंधन को लेकर तीखा बयान दिया है। बीजेपी ने इसे ‘सिचुएशनशिप’ करार दिया है, यानी एक अस्थायी और जरूरत आधारित संबंध। इस संदर्भ में बीजेपी ने कहा है कि कांग्रेस और SP के बीच जैसा व्यवहार दिख रहा है, उससे यह साफ होता है कि दोनों पार्टियां सिर्फ चुनावी मजबूरी के तहत एक दूसरे के साथ जुड़ी हैं, लेकिन यह संबंध स्थायी नहीं होगा।
बीजेपी का आरोप:
बीजेपी के प्रवक्ता ने इस गठबंधन को लेकर कहा कि “कांग्रेस और SP ने मिल्कीपुर में हाथ मिलाया है, लेकिन दिल्ली में एक दूसरे को ‘ट्रिपल तलाक’ दे दिया है।” इस बयान का आशय था कि कांग्रेस और SP एक ओर यूपी में गठबंधन के लिए मजबूरी दिखा रहे हैं, लेकिन दिल्ली में कांग्रेस का एक अलग दृष्टिकोण है, जो उनकी सहयोगिता की अस्थिरता को दर्शाता है।
मिल्कीपुर में गठबंधन:
दरअसल, मिल्कीपुर में कांग्रेस और SP के बीच कुछ चुनावी मुद्दों पर चर्चा हुई थी, जहां दोनों दलों ने एक दूसरे से सहयोग की बात की थी। इस मुलाकात के बाद दोनों पार्टियां राज्य स्तर पर चुनावी गठबंधन बनाने का संकेत दे रही हैं, लेकिन बीजेपी का आरोप है कि ये सिर्फ अस्थायी और चुनावी रणनीति के तहत हो रहा है। बीजेपी का कहना है कि दोनों दलों के पास अपनी-अपनी राष्ट्रीय राजनीति है और वे इस गठबंधन को लंबे समय तक बनाए नहीं रख पाएंगे।
दिल्ली में ‘ट्रिपल तलाक’:
बीजेपी ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस और SP के बीच असली रिश्ते दिल्ली में ही सामने आए हैं, जहां कांग्रेस ने अपनी राष्ट्रीय राजनीति के कारण SP को पर्याप्त महत्व नहीं दिया। दिल्ली में कांग्रेस और SP के बीच कभी भी एक स्थायी राजनीतिक साझेदारी का संकेत नहीं मिला, और इसीलिए बीजेपी ने इसे “ट्रिपल तलाक” का उदाहरण बताया – एक ऐसा संबंध जो एक समय में खत्म हो गया हो, लेकिन फिर भी उसे बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही हो।
कांग्रेस और SP की प्रतिक्रिया:
कांग्रेस और SP ने बीजेपी के आरोपों को नकारते हुए कहा है कि दोनों दलों के बीच बातचीत जारी है और चुनाव के समय अंतिम रूप से गठबंधन की घोषणा की जाएगी। हालांकि, उन्होंने इसे अस्थायी गठबंधन मानने से इनकार किया है और इसे एक रणनीतिक साझेदारी के रूप में पेश किया है, जो आने वाले चुनावों में बीजेपी के खिलाफ एक मजबूत विकल्प के रूप में काम करेगा।