कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क ।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने देश की सियासत में हलचल मचा दी है। विपक्ष ने इस फैसले की टाइमिंग को लेकर सवाल उठाए हैं और केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के आरोप लगाए हैं। सूत्रों के अनुसार, जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ विपक्ष के महाभियोग नोटिस को स्वीकार करने के बाद दो केंद्रीय मंत्रियों ने उपराष्ट्रपति को फोन किया था। इसके तुरंत बाद राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में नेता नहीं पहुंचे और कुछ ही देर में धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि जगदीप धनखड़ ने अपने इस्तीफे के पीछे स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया, लेकिन विपक्ष इसे राजनीतिक दबाव का नतीजा बता रहा है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति से इस्तीफा दिलवाना लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि धनखड़ का इस्तीफा सिर्फ स्वास्थ्य कारणों तक सीमित नहीं है। विपक्ष का यह भी दावा है कि सरकार न्यायपालिका से जुड़े मामलों में हस्तक्षेप नहीं चाहती थी, और महाभियोग प्रक्रिया को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया। धनखड़ के इस्तीफे ने केंद्र की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आने वाले दिनों में सरकार और विपक्ष के बीच यह मुद्दा कितना तूल पकड़ेगा।