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डॉ. मनमोहन सिंह: ईमानदारी की विरासत में विवादों का साया और परिपूर्णता के बावजूद आलोचनाएँ

राजनीति
  • By Kanhwizz Times
  • Reported By: Kanwhizz Times
  • Updated: December 27, 2024

कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क।भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन विवादों, आलोचनाओं और ऐतिहासिक उपलब्धियों से भरा रहा। उन्हें हमेशा एक ईमानदार और सच्चे नेता के रूप में याद किया जाएगा, लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान कुछ महत्वपूर्ण घटनाएँ और फैसले ऐसे रहे, जिनसे उन्हें आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा। इन आलोचनाओं के बावजूद, उन्होंने भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में ऐतिहासिक योगदान दिया।

ईमानदारी की छवि और विवादों का साया

मनमोहन सिंह की छवि एक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ नेता के रूप में रही। उन्होंने कभी किसी तरह की भ्रष्टाचार में लिप्त होने की कोशिश नहीं की और अपने पूरे कार्यकाल में खुद को ईमानदारी से निभाया। इसके बावजूद, उनके कार्यकाल में कुछ बड़े विवाद भी उभरे। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, कोल ब्लॉक आवंटन घोटाला, और कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला जैसे मुद्दों ने उनकी सरकार को घेर लिया था। हालांकि, डॉ. सिंह ने व्यक्तिगत रूप से कभी भी इन मामलों में कोई संलिप्तता नहीं दिखाई, लेकिन इन घोटालों से उनकी सरकार पर गंभीर सवाल उठे। विपक्ष ने उनकी चुप्पी और सरकार की निष्क्रियता पर सवाल उठाए, जिसे उनके आलोचक ‘मौन प्रधानमंत्री’ के रूप में परिभाषित करते थे।

परमाणु समझौते में विजेता बनकर उभरे

डॉ. मनमोहन सिंह का सबसे बड़ा कूटनीतिक उपलब्धि भारत-अमेरिका परमाणु समझौता था, जिसे उन्होंने अपनी कार्यकुशलता और कूटनीति से पूरा किया। 2005 में शुरू हुआ यह समझौता भारत को परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण अवसरों और वैश्विक कूटनीति में एक नई स्थिति दिलाने में सफल रहा। इस समझौते से भारत को परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के लिए अमेरिकी और अन्य देशों से सहयोग प्राप्त हुआ, और वैश्विक परमाणु आपूर्ति समूह (NSG) में सदस्यता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। इसे डॉ. सिंह की कूटनीतिक जीत के रूप में देखा जाता है, क्योंकि उन्होंने अमेरिका जैसे देशों से भारत को परमाणु तकनीक उपलब्ध कराने में सफलता हासिल की, जिससे भारत की ऊर्जा नीति को नया मोड़ मिला।

अन्ना हजारे और भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन

हालांकि मनमोहन सिंह की सरकार को कुछ महत्वपूर्ण कूटनीतिक और आर्थिक उपलब्धियाँ मिलीं, लेकिन उनके खिलाफ सबसे बड़ा आंदोलन अन्ना हजारे का भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन था। 2011 में अन्ना हजारे ने लोकपाल बिल के लिए जन जागरूकता अभियान शुरू किया, जिसे व्यापक जनता का समर्थन मिला। आंदोलन ने जबरदस्त जनाधार हासिल किया और इसका सीधा असर मनमोहन सिंह की सरकार पर पड़ा। आंदोलन के दौरान यह संदेश गया कि सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठा रही है। इसके परिणामस्वरूप मनमोहन सिंह की सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा, और यह मुद्दा उनके लिए एक बड़ी चुनौती बन गया। हालांकि, अंततः सरकार ने लोकपाल बिल को पेश किया, लेकिन अन्ना हजारे और उनके समर्थकों का आरोप था कि सरकार ने बिल में ढिलाई बरती और भ्रष्टाचार के खिलाफ वास्तविक कदम नहीं उठाए।

आलोचनाओं के बावजूद सफल प्रधानमंत्री

मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत ने आर्थिक सुधारों की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। 1991 में, जब वह वित्त मंत्री थे, उन्होंने भारत को आर्थिक संकट से उबारने के लिए ऐतिहासिक सुधारों की शुरुआत की, जो आज भी भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव मानी जाती है। उनके नेतृत्व में, भारत की आर्थ‍िक विकास दर उच्चतम स्तर पर पहुंची।

हालांकि उनके कार्यकाल के दौरान कई विवाद हुए, लेकिन उन्होंने कभी अपनी ईमानदारी और सच्चाई से समझौता नहीं किया। उन्होंने कभी भी किसी विवाद या आलोचना से खुद को विचलित नहीं होने दिया और हमेशा देश की भलाई के लिए काम करने की कोशिश की। उनके प्रधानमंत्रित्व के दौरान, भारत की वैश्विक स्थिति भी मजबूत हुई और कई अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर देश की आवाज को महत्वपूर्ण स्थान मिला।

डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन और कार्यकाल कई पहलुओं से भरपूर था। जहां उन्होंने भारत को आर्थिक सुधारों, वैश्विक कूटनीति और परमाणु समझौते में बड़ी सफलताएँ दिलाईं, वहीं कुछ मुद्दों और घोटालों ने उनकी सरकार की छवि को धूमिल किया। इसके बावजूद, उनकी ईमानदारी, निष्कलंक चरित्र और देश के प्रति समर्पण को कभी नकारा नहीं जा सकता। आज उनका योगदान भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में हमेशा याद रखा जाएगा, और वह इतिहास में एक ऐसे प्रधानमंत्री के रूप में दर्ज होंगे, जिनका नाम हमेशा सम्मान और विवाद दोनों के साथ लिया जाएगा।

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