कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क ।
कारगिल युद्ध के नायक लांस नायक वीरेंद्र सिंह की शहादत के बाद उनकी पत्नी भानमति देवी ने जिस तरह से जीवन के हर मोर्चे पर साहस और आत्मबल के साथ लड़ाई लड़ी, वह हर भारतीय महिला के लिए प्रेरणा है। 30 मई 1999 को टाइगर हिल की लड़ाई में वीरेंद्र सिंह देश के लिए शहीद हो गए। उस समय उनके दो बेटे चार साल का प्रवीन और दो साल का टिंकू बहुत छोटे थे। पति के बलिदान के बाद जहां पूरा गांव गढ़ी रुथल शोक में डूबा था, वहीं भानमति के सामने जीवन की एक नई जंग शुरू हो गई। समाज के तानों और भविष्य की अनिश्चितताओं के बीच उन्होंने आंसुओं को हथियार बनाया और बच्चों की परवरिश को अपना धर्म। सरकार से मिली गैस एजेंसी को ईमानदारी और आत्मसम्मान से चलाते हुए उन्होंने दोनों बेटों को पढ़ाया-लिखाया। आज प्रवीन एक सफल व्यवसायी है और टिंकू एमएसई की पढ़ाई पूरी कर सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा है। भानमति कहती हैं कई बार लगा कि अब नहीं संभलूंगी, पर उनके बलिदान ने हिम्मत दी। आज भी उनकी आंखें अपने बलिदानी पति की यादों से नम रहती हैं। वे चाहती हैं कि गांव में उनके नाम का स्मारक बने ताकि आने वाली पीढ़ियां जान सकें कि यह मिट्टी किनके खून से पवित्र हुई है। भानमति देवी की कहानी सिर्फ एक शहीद की पत्नी की नहीं, बल्कि एक योद्धा मां और एक सशक्त भारतीय नारी की गाथा है, जिसने अपने अकेलेपन को आत्मबल में और स्मृतियों को संकल्प में बदल दिया।