कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क। पश्चिम बंगाल के जंगलमहल क्षेत्र में हाल के दिनों में नक्सलवाद की गतिविधियों में चिंताजनक वृद्धि देखी गई है, जिससे राज्य की सुरक्षा स्थिति और भी संवेदनशील हो गई है। जंगलमहल, जो पश्चिम बंगाल के दक्षिणी हिस्से में स्थित है, आदिवासी बहुल इलाका है और historically नक्सलवादी गतिविधियों के लिए एक प्रमुख गढ़ रहा है। हाल के दिनों में यहां नक्सलवादियों की गतिविधियों में वृद्धि ने राज्य और केंद्रीय सुरक्षा बलों को सतर्क कर दिया है, और सुरक्षा उपायों को तेज कर दिया गया है।
नक्सलवादी गतिविधियों में वृद्धि
जंगलमहल क्षेत्र में नक्सलवादी गतिविधियों में बढ़ोतरी का मुख्य कारण इस क्षेत्र में नक्सली संगठनों की फिर से सक्रियता है। सुरक्षा बलों के अनुसार, नक्सलियों ने इस इलाके में फिर से अपने पैरों को मजबूत करना शुरू कर दिया है, खासकर उन इलाकों में जहां पहले सुरक्षा बलों की सख्ती और विकास कार्यों के चलते नक्सलियों की पकड़ कमजोर हुई थी। हाल ही में जंगलमहल क्षेत्र में नक्सलियों द्वारा कई हमले किए गए हैं, जिनमें सुरक्षा बलों के जवानों पर हमला, पुलिस चौकियों पर छापे और नागरिकों को धमकाने की घटनाएं शामिल हैं। इसके अलावा, नक्सलियों ने क्षेत्रीय विकास योजनाओं, जैसे सड़कों और पुलों के निर्माण, को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। वे इस तरह से विकास कार्यों को बाधित करने का प्रयास करते हैं, ताकि आदिवासी क्षेत्रों में सरकार की पहुंच कमजोर हो और लोग उनकी ओर आकर्षित हों।
सुरक्षा बलों की चौकसी बढ़ी
जंगलमहल में नक्सलवाद की बढ़ती गतिविधियों के मद्देनजर राज्य और केंद्रीय सुरक्षा बलों की चौकसी में वृद्धि की गई है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), बीएसएफ, राज्य पुलिस और विशेष कार्य बल (एसटीएफ) की संयुक्त टीमें क्षेत्र में गश्त और सर्च ऑपरेशंस बढ़ा चुकी हैं। इसके अलावा, सुरक्षा बलों को स्थानीय आदिवासी समुदायों से भी मदद मिल रही है, जो नक्सलियों के खिलाफ सहयोग दे रहे हैं। केंद्र सरकार ने इस क्षेत्र में नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए ‘ऑपरेशन समर्पण’ जैसे अभियान शुरू किए हैं, जिसका उद्देश्य नक्सलवादियों को मुख्यधारा में लाकर शांति प्रक्रिया में शामिल करना है। इस अभियान में सुरक्षा बलों के अलावा, समाज के विभिन्न वर्गों की मदद भी ली जा रही है, जिसमें स्थानीय नेताओं, समाजसेवियों और आदिवासी प्रतिनिधियों को विश्वास में लिया जा रहा है।
नक्सलियों के वित्तीय स्रोतों पर कार्रवाई
नक्सलवाद को बढ़ावा देने के लिए नक्सली विभिन्न अवैध गतिविधियों से वित्तीय मदद जुटाते हैं, जैसे कि जंगलों में लकड़ी की तस्करी, पत्थर और खनिजों की अवैध खनन, और ‘वसूली’ (कटौती) की कार्रवाई। राज्य और केंद्र सरकार इन अवैध आर्थिक गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए विशेष उपाय कर रही है, ताकि नक्सलियों के वित्तीय स्रोतों को रोका जा सके। इसके अतिरिक्त, नक्सलवादी अपने प्रभाव क्षेत्र में गरीब आदिवासी समुदायों को हथियार देकर उन्हें अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। इन्हें स्थानीय जंगली इलाकों में छिपकर सरकार के खिलाफ सक्रिय किया जाता है। सुरक्षा बलों ने इस प्रक्रिया को समझते हुए, इन क्षेत्रों में हथियारों की तस्करी और उग्रवादियों के जंगली ठिकानों पर कार्रवाई तेज कर दी है।
आदिवासी समुदाय और सुरक्षा की स्थिति
हालांकि, इस क्षेत्र के आदिवासी समुदाय ने नक्सलवाद से दूरी बनानी शुरू कर दी है, फिर भी कुछ इलाकों में स्थानीय लोग अब भी नक्सलियों के प्रभाव में हैं। आदिवासियों की समस्याओं जैसे भूमि अधिकार, बेरोजगारी और मूलभूत सुविधाओं की कमी ने उन्हें नक्सलियों की ओर आकर्षित किया था। राज्य सरकार और सुरक्षा बल इस चुनौती का सामना करने के लिए इन समुदायों के बीच जागरूकता फैलाने, विकास कार्यों को तेज करने और स्थानीय नेताओं के साथ संवाद स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। उनका उद्देश्य नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में आदिवासियों का समर्थन प्राप्त करना है और उन्हें यह समझाना है कि नक्सली गतिविधियों में भाग लेने से केवल हिंसा और अशांति ही बढ़ेगी, न कि वास्तविक विकास।
राज्य और केंद्रीय सरकार की रणनीतियाँ
राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से अधिक संसाधनों की मांग की है ताकि जंगलमहल क्षेत्र में सुरक्षा बलों की तैनाती और सतर्कता बढ़ाई जा सके। इसके साथ ही, केंद्र सरकार भी इस क्षेत्र में सुरक्षा बलों के लिए अधिक उपकरण और उन्नत तकनीकी सहायता भेजने पर विचार कर रही है, ताकि नक्सलियों के खिलाफ अभियान और प्रभावी हो सके। साथ ही, सरकार इस क्षेत्र में विकास कार्यों को प्राथमिकता दे रही है ताकि नक्सलियों के प्रभाव क्षेत्र में बदलाव लाया जा सके। सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और जल आपूर्ति जैसी बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाना सरकार का प्रमुख लक्ष्य है। इसके तहत, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के लिए विशेष योजनाएं बनाई जा रही हैं, ताकि स्थानीय लोग नक्सलवाद के प्रभाव से बाहर निकल सकें। पश्चिम बंगाल के जंगलमहल क्षेत्र में नक्सलवाद की बढ़ती गतिविधियां एक गंभीर चुनौती हैं, लेकिन सुरक्षा बलों की सक्रियता और सरकारी योजनाओं के द्वारा इस समस्या को नियंत्रित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। नक्सलियों के वित्तीय स्रोतों पर शिकंजा कसना, आदिवासी समुदायों के साथ बेहतर संवाद और क्षेत्रीय विकास कार्यों को तेज करना इस संघर्ष का हिस्सा बन चुका है। राज्य और केंद्र सरकार का उद्देश्य इस क्षेत्र में स्थायी शांति और विकास स्थापित करना है, ताकि नक्सलवाद का प्रभाव कम किया जा सके और स्थानीय लोग बेहतर जीवन जी सकें।