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पीलीभीत के गन्ना किसान अपना रहे हैं जैविक कीट नियंत्रण के स्मार्ट उपाय

पीलीभीत के गन्ना किसान अब कीटनाशकों की जगह ट्राईकोकार्ड, लाइट ट्रैप और AI साउंड सिस्टम से फसल की रक्षा कर रहे हैं। जानिए कैसे।
  • By Kanhwizz Times
  • Reported By: Kritika pandey
  • Updated: July 15, 2025

कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क ।

 गन्ना विकास विभाग पीलीभीत द्वारा गन्ना किसानों को घातक कीटनाशकों के विकल्प के रूप में जैविक कीट नियंत्रण की विधियों को अपनाने के लिए निरंतर जागरूक किया जा रहा है। किसानों के खेतों पर ही इन तकनीकों का प्रदर्शन कर लाभ बताए जा रहे हैं। जैविक कीट नियंत्रण न केवल रसायनों पर होने वाले खर्च को कम करता है, बल्कि पर्यावरण और मृदा स्वास्थ्य के लिए भी पूरी तरह सुरक्षित है। इसी क्रम में गन्ना विकास परिषद, पीलीभीत द्वारा अब तक विभिन्न विकास क्षेत्रों में किसानों को बड़ी संख्या में जैविक साधन वितरित किए गए हैं। जैविक कीट नियंत्रण की मुहिम के तहत कुल 800 ट्राईकोकार्ड 415 कृषकों को वितरित किए गए, जिससे करीब 240 एकड़ गन्ने की फसल को जैविक तरीके से कीटों से सुरक्षा मिली। गन्ना विकास परिषद बरखेड़ा एवं चीनी मिल बरखेड़ा द्वारा 450 फनेल फेरोमोन ट्रैप 50 किसानों में वितरित किए गए, जिनसे 100 एकड़ गन्ने की रक्षा हुई। गन्ना विकास परिषद बरखेड़ा द्वारा अतिरिक्त 100 ट्राईकोकार्ड 55 किसानों में वितरित कर 50 एकड़ फसल को सुरक्षित किया गया। गन्ना विकास परिषद बीसलपुर द्वारा 200 ट्राईकोकार्ड 80 किसानों को वितरित किए गए, जिनसे 100 एकड़ गन्ना जैविक पद्धति से सुरक्षित हुआ।इस तरह कुल मिलाकर जनपद पीलीभीत में अब तक 600 एकड़ से अधिक गन्ना फसल को बिना किसी रासायनिक कीटनाशक के जैविक साधनों से सुरक्षित किया जा चुका है। गन्ना किसानों द्वारा भी इन प्रयासों की सराहना की जा रही है। किसानों ने बताया कि ट्राईकोकार्ड, लाइट ट्रैप, इंटेलिजेंट लाइट ट्रैप और फेरोमोन ट्रैप के उपयोग से फसल पर कीटों का प्रकोप घटा है, लागत घटी है और मिट्टी की उर्वरकता बनी रहती है।खुशी राम भार्गव जिला गन्ना अधिकारी पीलीभीत द्वारा किसानों से लगातार अपील की जा रही हैं कि अधिक से अधिक किसान रसायन मुक्त और टिकाऊ खेती की दिशा में आगे बढ़ें तथा अपने खेतों को प्राकृतिक संरक्षण दें। इन विधियों से केवल हानिकारक कीट आकर्षित होकर मरते है, लेकिन मित्र कीटो को कोई नुकसान नहीं होता है। गन्ने की फसल के प्रमुख मित्र कीट है-लेडी बर्ड बीटल, क्राइसोपिला, सिरफिड मक्खी, और विभिन्न प्रकार की मकड़िया। इसके अलावा कुछ परजीवी मित्र कीट भी होते है जैसे ट्राईकोग्रामा वास्प, ब्रेकॉन वास्प, एपिरीकैनिया आदि स जैविक विधियों से पर्यावरण संरक्षण के साथ फसल की गुणवत्ता बेहतर होती है। कीटनाशकों पर होने वाला खर्चा बच जाता है। जनपद के प्रगतिशील गन्ना किसान डॉ हरमीत सिंह ने बताया कि जैविक कीट नियंत्रण की विभिन्न विधियों को अपनाने के साथ ही वह जंगली जानवरो से फसल सुरक्षा के लिये आर्टिफिशल इंटेलिजेंट आधारित साउंड लाइट सिस्टम का उपयोग करते है। यह सिस्टम सोलर से रिचार्ज होता है तथा सेंसर लगे होने के कारण रात होते ही सक्रिय हो जाता है। इसमें गन्ने मे लगने वाले बोरर कीटो के नियंत्रण के लिये लाइट ट्रैप लगा है। साथ ही साउंड सिस्टम भी है जो जंगली जानवर जैसे सियार, जंगली सूकर, स्याही, आवारा पशुओ को दूर भगाता है। विगत दिनों जिला गन्ना अधिकारी पीलीभीत, ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक बीसलपुर, सचिव सहकारी गन्ना विकास समिति बीसलपुर, मुख्य गन्ना अधिकारी बीसलपुर चीनी मिल द्वारा डॉ हरमीत सिंह के कृषि फार्म का विजिट किया गया। डॉ सिंह के स्मार्ट कीट नियंत्रण की विधियों को देखा और इसकी सराहना की। ऐसे किसान उन किसानो के लिये प्रेरणा का काम करते है जो कीट नियंत्रण के लिये महंगे एवं घातक रसायनो का प्रयोग करते है।

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