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बेंगलुरू आरसीबी विजय जश्न में भगदड़ आयोजकों की लापरवाही का नतीजाः जांच रिपोर्ट में दावा

आरसीबी की आईपीएल जीत के जश्न के दौरान चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास हुई भगदड़ पर सरकार की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में आयोजकों की लापरवाही, अग्रिम योजना की कमी और भीड़ प्रबंधन की विफलता को मुख्य कारण बताया गया है। घटना में 11 की मौत और 50 से अधिक घायल हुए थे।
  • By Kanhwizz Times
  • Reported By: Kritika pandey
  • Updated: July 17, 2025

कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क ।

रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (आरसीबी) के आईपीएल विजय जश्न के दौरान एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास हुई भगदड़ को लेकर सरकार की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सामने आई है जिसमें इस घटना के लिए आयोजकों की लापरवाही, अग्रिम योजना की कमी और भीड़ प्रबंधन की विफलता मुख्य कारक मानी गई है। रिपोर्ट में आयोजकों की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। 4 जून को बेेंगलुरू में आरसीबी की आईपीएल जीत के जश्न के दौरान भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई थी और 50 से अधिक लोग घायल हो गए थे। सरकार की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि आपात स्थिति में मेडिकल सुविधा प्रदान करना आयोजकों की मुख्य जिम्मेदारी थी लेकिन उन्होंने आवश्यक एहतियाती कदम नहीं उठाए। आपात स्थिति से निपटने के लिए प्राथमिक चिकित्सा प्रबंधों में भारी कमी पाई गई। कार्यक्रम के लिए अग्रिम अनुमति की भी उचित प्रक्रिया नहीं अपनाई गई, जिससे प्रशासन को जरूरी तैयारियों की जानकारी तक नहीं मिल पाई। सरकार की तरफ से दावा किया गया है कि राज्य सरकार ने सतर्कता के तौर पर दो मेडिकल टीमों और एंबुलेंस, साथ ही दमकल वाहन तैनात किए थे। फिर भी आयोजकों ने भारी भीड़ और संभावित आपात स्थिति को लेकर घोर लापरवाही दिखाई। रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस के पास अपेक्षित भीड़ का अनुमान लगाने और तैयारी करने के लिए पर्याप्त समय नहीं था। परिणामस्वरूप, अपेक्षा से अधिक लोग एकत्र हो गए। प्रारंभिक तौर पर ट्रैफिक नियंत्रण के लिए 654 पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। घटना के बाद 20 केएसआरपी टुकड़ियों सहित कुल 440 अतिरिक्त पुलिसकर्मियों को भीड़ नियंत्रण के लिए तैनात किया गया। 6 डीसीपी सहित 600 से अधिक पुलिसकर्मियों को विधान सौध और स्टेडियम मार्गों पर तैनात किया गया था। राज्य सरकार ने न्यायिक जांच और जिला मजिस्ट्रेट की जांच पूरी होने तक रिपोर्ट को गोपनीय रखने की मांग की थी। लेकिन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश वी. कामेश्वर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने यह रिपोर्ट मामले के सभी पक्षकारों को सार्वजनिक करने का आदेश दिया। जिसके बाद यह प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की गई।

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