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राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर ड्रमंड राजकीय इंटर कॉलेज में जागरूकता कार्यक्रम

पीलीभीत के ड्रमंड राजकीय इंटर कॉलेज में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित, छात्रों ने प्रतियोगिता में भाग लिया और विज्ञान-प्रौद्योगिकी की जानकारी प्राप्त की।
  • By Kanhwizz Times
  • Reported By: Kritika pandey
  • Updated: May 13, 2025

कैनवीज़ टाइम्स, डिजिटल डेस्क । 

समाधान आईएपीटी अन्वेषिका के तत्वावधान में शनिवार को ड्रमंड राजकीय इंटर कॉलेज में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के उपलक्ष्य में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर छात्र-छात्राओं के लिए प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें पंकज पाल ने प्रथम और अनुज कुमार ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। वहीं हिमांशु, हर्षित राजपूत, हर्ष कुमार और अंकित कुमार के प्रयासों की भी सराहना की गई। कार्यक्रम के दौरान विज्ञान शिक्षक आर. पी. गंगवार ने बताया कि 11 मई को हर वर्ष राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया जाता है। इस दिन को भारत की तकनीकी प्रगति और उपलब्धियों के प्रतीक के रूप में याद किया जाता है। उन्होंने बताया कि 11 मई 1998 को देश में एक साथ कई ऐतिहासिक उपलब्धियाँ दर्ज हुईं थीं ।  जिनमें स्वदेशी हंसा विमान की उड़ान, त्रिशूल मिसाइल का परीक्षण और पोखरण में सफल द्वितीय परमाणु परीक्षण शामिल हैं। इन्हीं उपलब्धियों को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस दिन को 'राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस' घोषित किया था।
 

शिक्षक ने बताया कि भारत का पहला परमाणु परीक्षण भी पोखरण में ही 18 मई 1974 को किया गया था, जिसे सांकेतिक रूप से ‘लाफिंग बुद्धा’ कहा गया था। यह परीक्षण तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में हुआ था।2025 की थीम : यंत्र – नई प्रौद्योगिकी अनुसंधान और त्वरण को आगे बढ़ाने के लिए युगांतर
कार्यक्रम में मौजूद वक्ताओं ने 2025 की थीम ‘यंत्र – नई प्रौद्योगिकी अनुसंधान और त्वरण को आगे बढ़ाने के लिए युगांतर’ पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह थीम देश की तकनीकी दिशा और युवा शक्ति की भूमिका को रेखांकित करती है।
 

विज्ञान और प्रौद्योगिकी के बीच के अंतर को समझाते हुए वक्ता लक्ष्मीकांत शर्मा ने कहा कि प्रौद्योगिकी, विज्ञान के सिद्धांतों का व्यावहारिक उपयोग है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि साइकिल एक दोपहिया मशीन है, जिसमें ऊर्जा संरक्षण, कोणीय गति, घर्षण, कास्टर सिद्धांत, जड़त्व आघूर्ण, बल और गति, ज्यामिति, सस्पेंशन, ब्रेक और स्प्रिंग जैसे अनेक वैज्ञानिक सिद्धांतों का प्रयोग होता है। यही सिद्धांत मिलकर प्रौद्योगिकी का स्वरूप तैयार करते हैं। कार्यक्रम से जागरूकता को मिली गति समिति के सदस्यों ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से किशोर पीढ़ी को विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका समझने में सहायता मिलती है। यह राष्ट्र के विकास और शक्ति के लिए आवश्यक है कि युवा वर्ग तकनीकी नवाचार और वैज्ञानिक समझ को अपनाए।

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