कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क । दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) ने रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री पद का जिम्मा सौंपकर राजनीति के कई कयासों पर विराम लगा दिया है। इससे पहले दिल्ली की राजनीति में महिला मुख्यमंत्री की उम्मीदें कई बार जताई जा चुकी थीं, लेकिन अब भाजपा ने यह कदम उठाकर एक सशक्त संदेश दिया है। भाजपा का यह निर्णय महिला सशक्तिकरण के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है, साथ ही यह संकेत भी देता है कि पार्टी ने दिल्ली में चुनावी राजनीति में नए दिशा देने का निर्णय लिया है। रेखा गुप्ता के मुख्यमंत्री बनने से यह भी साफ होता है कि भाजपा में महिलाओं को महत्वपूर्ण राजनीतिक जिम्मेदारियां दी जा रही हैं।
एलान में भाजपा ने की देरी
पिछले कुछ दिनों से जितनी चर्चा संभावित मुख्यमंत्री को लेकर हो रही थी, उतनी ही बहस इस बात पर भी थी की आखिर इतनी देर क्यों? क्या पेच है? हालांकि, दिल्ली के प्रभारी बैजयंत जय पांडा चुनाव परिणाम आने के साथ ही कह चुके थे कि 10 दिनों में नया मुख्यमंत्री मिलेगा।
खींचतान को भाजपा ने शांत कर दिया
वस्तुत: 27 साल बाद दिल्ली में जो जीत मिली, उसके बाद पार्टी के कई नेताओं में एक अभिमान भी था। जीत का सेहरा बांधने और दावेदारी की होड़ भी शुरू हो गई थी। भाजपा नेतृत्व ने धीरे-धीरे नेताओं की इस खींचतान को शांत कर दिया। वैसे भी सच्चाई तो यही है कि दिल्ली की जीत अगर किसी एक चेहरे पर हुई थी, तो वह नरेन्द्र मोदी थे।
भाजपा के लिए बड़ा सवाल यह था कि जाति के पेच से कैसे निकलें? दरअसल, पिछले कुछ वर्षों में भाजपा हर जाति वर्ग से अध्यक्ष बनाकर इसका प्रयोग करती रही है। अब जब सत्ता आई है, तो पार्टी इस बहस को ही समाप्त करना चाहती है। रेखा गुप्ता एक जाति से हैं, लेकिन उससे पहले महिला हैं।
दिल्ली समेत कई राज्यों में भाजपा की जीत में महिलाओं की भूमिका अहम रही है। आज के दिन अकेले भाजपा यह दावा करेगी कि उसने एक महिला के हाथ में राज्य की कमान दी है, जबकि पड़ोसी राज्य राजस्थान में उपमुख्यमंत्री महिला है। बंगाल में जरूर ममता के हाथ कमान है, लेकिन वह खुद ही पार्टी की सुप्रीम लीडर हैं।