कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क।
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में 30 जुलाई को उस वक्त हड़कंप मच गया जब पहलगाम हमले के एक आतंकी हबीब ताहिर के जनाजे में लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर रिजवान हानिफ की मौजूदगी पर लोग भड़क उठे। रिजवान अपने भतीजे समेत जनाजे में शामिल हुआ था, लेकिन जैसे ही उसकी पहचान हुई, लोगों ने विरोध जताना शुरू कर दिया। स्थिति तब और तनावपूर्ण हो गई जब लश्कर के बंदूकधारियों ने भीड़ और मृत आतंकी के परिजनों पर बंदूकें तान दीं। देखते ही देखते माहौल बिगड़ गया और लोगों के गुस्से के चलते लश्कर के लोग शोक सभा छोड़कर भागने को मजबूर हो गए। यह जनाजा उस आतंकी का था जो 22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम आतंकी हमले में शामिल था। इस हमले में एक नेपाली नागरिक समेत 26 लोगों की जान गई थी। हमले की जिम्मेदारी लश्कर से जुड़े संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली थी। तीन महीने बाद सुरक्षाबलों ने 'ऑपरेशन महादेव' चलाकर जंगल में छिपे तीनों आतंकियों को मार गिराया। हबीब ताहिर उन्हीं आतंकियों में शामिल था और उसका जनाजा PoK के कुइयां गांव में निकाला गया। जनाजे में हुए ड्रामे से पाकिस्तान एक बार फिर आतंक को पनाह देने के अपने कुत्सित मंसूबों के साथ बेनकाब हो गया है। PoK के लोगों ने भी लश्कर के खिलाफ विरोध जाहिर कर यह स्पष्ट कर दिया कि आतंक के खिलाफ अब वहां भी नाराजगी पनपने लगी है।