कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क ।
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में मोबाइल, लैपटॉप और टीवी हमारी दिनचर्या का अहम हिस्सा बन चुके हैं। चाहे काम हो या मनोरंजन, हर चीज अब डिजिटल हो गई है। लेकिन इस डिजिटल दुनिया ने इंसान को अपनों से दूर कर दिया है और मानसिक तनाव भी बढ़ा दिया है। ऐसे में ‘डिजिटल फास्टिंग’ एक नया तरीका बनकर उभरा है जो मानसिक शांति और हेल्दी लाइफ के लिए बेहद जरूरी माना जा रहा है।
क्या है डिजिटल फास्टिंग?
डिजिटल फास्टिंग यानी मोबाइल, लैपटॉप, टीवी या अन्य डिजिटल डिवाइसेज से कुछ समय के लिए दूरी बनाना। ठीक वैसे ही जैसे हम उपवास में कुछ खास चीजों से परहेज़ करते हैं, डिजिटल फास्टिंग में भी कुछ घंटों या दिनों के लिए खुद को स्क्रीन से दूर रखा जाता है। इसे डिजिटल डिटॉक्स भी कहा जाता है।
क्यों जरूरी है डिजिटल फास्टिंग?
मानसिक तनाव में कमी: लगातार स्क्रीन पर बने रहने से दिमाग पर दबाव पड़ता है। डिजिटल फास्टिंग से यह तनाव कम होता है।
नींद में सुधार: फोन से दूरी बनाने पर नींद की गुणवत्ता बेहतर होती है।
रिश्तों में मजबूती: जब हम स्क्रीन से दूरी बनाते हैं, तो अपने परिवार और दोस्तों के साथ ज्यादा समय बिता पाते हैं।
एकाग्रता में बढ़ोतरी: लगातार नोटिफिकेशन से ध्यान भटकता है, लेकिन डिजिटल फास्टिंग एकाग्रता बढ़ाती है।
कैसे करें डिजिटल फास्टिंग?
डेली रूटीन बनाएं: हर दिन कुछ घंटे फोन से दूर रहें।
डिनर टाइम नो फोन: खाने के समय फोन से दूरी बनाएं।
सोने से पहले कम से कम 1 घंटा स्क्रीन फ्री टाइम रखें।
हफ्ते में एक दिन डिजिटल डिटॉक्स डे रखें।
डिजिटल फास्टिंग न सिर्फ आपकी मानसिक सेहत के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह आपके व्यक्तिगत जीवन को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। शुरुआत में मुश्किल लग सकता है, लेकिन धीरे-धीरे ये आदत बन जाए तो जिंदगी और भी बेहतर हो सकती है।