कैनवीज टाइम्स/डिजिटल डेस्क। मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा का पर्व हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इसे 'गोपाष्टमी' और 'कृष्ण पूर्णिमा' भी कहा जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवद भक्ति, उपासना और पूजा का महत्व होता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से व्रत रखने और पूजा करने से आत्मिक शांति और मानसिक शुद्धि प्राप्त होती है।
इस दिन विशेष रूप से श्री विष्णु के साथ-साथ भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। साथ ही, इस दिन एक महत्वपूर्ण स्तोत्र का पाठ किया जाता है, जो कई आध्यात्मिक लाभों को प्राप्त करने का एक अद्भुत माध्यम है। यह स्तोत्र 'श्री कृष्णाष्टकविंशतिं' कहलाता है, जिसका पाठ करने से व्यक्ति को न केवल आध्यात्मिक लाभ मिलता है, बल्कि जीवन के अन्य पहलुओं में भी सुधार आता है।
श्री कृष्णाष्टकविंशतिं का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता आती है। इस स्तोत्र के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण की महिमा का गान किया जाता है, जो भक्तों को उनके कष्टों से मुक्त करता है और उन्हें जीवन के वास्तविक उद्देश्य की प्राप्ति में सहायक होता है। इस स्तोत्र के कुछ खास लाभ हैं:
1 आध्यात्मिक उन्नति: इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से आत्मिक शांति और मानसिक संतुलन मिलता है। यह मानसिक तनाव को दूर करता है और साधक को भगवान के प्रति भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि करता है।
2 संकटों से मुक्ति: श्री कृष्ण का नाम जपने और उनके स्तोत्र का पाठ करने से जीवन में आने वाली परेशानियों और संकटों का निवारण होता है। यह व्यक्ति को हर स्थिति में धैर्य और साहस प्रदान करता है।
3 धन-धान्य की प्राप्ति: यह स्तोत्र आर्थिक समृद्धि और समृद्धि के लिए भी जाना जाता है। भगवान श्री कृष्ण की कृपा से घर में खुशहाली और समृद्धि आती है।
4 स्मरण शक्ति में वृद्धि: इस स्तोत्र के पाठ से बुद्धि का विकास होता है और स्मरण शक्ति में भी सुधार होता है, जिससे व्यक्ति अपने जीवन में सफलता प्राप्त करता है।
5 शरीर और आत्मा की शुद्धि: यह पाठ व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक शुद्धि के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है, जिससे जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा का पर्व विशेष रूप से कृष्ण भक्तों के लिए अत्यधिक पुण्यकारी होता है। इस दिन श्री कृष्ण का स्तोत्र पढ़ने और उनका ध्यान करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है।
इसलिए, यदि आप भी आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करना चाहते हैं और जीवन में संतुलन एवं शांति की कामना करते हैं, तो इस मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर श्री कृष्णाष्टकविंशतिं का पाठ अवश्य करें।