कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क।षटतिला एकादशी का व्रत विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा और तिल के दान के लिए जाना जाता है। इस दिन का महत्व हिन्दू धर्म में बहुत अधिक है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा से जीवन की सभी परेशानियाँ और बाधाएँ समाप्त होती हैं, और भगवान की कृपा से भाग्य में सुधार होता है। विष्णु जी की पूजा और आरती करने से व्यक्ति की किस्मत चमक सकती है।
1. तिल का दान
षटतिला एकादशी पर तिल का दान विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। तिल का दान करने से मानसिक शांति, समृद्धि, और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इसके अलावा, तिल का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है। तिल के साथ भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष आशीर्वाद मिलता है।
2. विष्णु जी की आरती
इस दिन भगवान विष्णु की आरती का महत्व अत्यधिक है। आरती करते समय भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए पूरी श्रद्धा और समर्पण से उनका भजन करें। आरती से न केवल भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि घर में शांति और समृद्धि भी बनी रहती है।
3. ध्यान रखें कुछ खास बातें
• पूजा करते समय ताजे फूलों और जल का उपयोग करें।
• विष्णु जी की आरती का पाठ करते समय मंत्रों का उच्चारण सही और स्पष्ट होना चाहिए।
• यदि संभव हो, तो आरती करने के बाद तिल का प्रसाद या दान जरूर करें।
• पूजा स्थल को स्वच्छ रखें और ध्यान रखें कि वहां कोई भी नकारात्मक ऊर्जा न हो।
4. व्रत का पालन करें
षटतिला एकादशी का व्रत रखने से शरीर और मन को शुद्धता मिलती है। इस दिन उपवासी रहना और विशेष आहार का सेवन करना लाभकारी होता है। दिन भर में एक समय भोजन करें और भोजन में तिल का प्रयोग अधिक से अधिक करें।
5. पूजा की विधि
• पूजा शुरू करने से पहले भगवान विष्णु का ध्यान करें और उनके चरणों में श्रद्धा रखें।
• दीपक जलाकर विष्णु जी के चित्र के सामने बैठकर आरती गाएं।
• आरती के बाद तिल के साथ भगवान का भोग अर्पित करें और गरीबों को तिल का दान करें।