कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क ।
केंद्र सरकार की कथित श्रमिक विरोधी नीतियों और नए लेबर कोड्स के खिलाफ बुधवार को राजधानी शिमला में किसान-मजदूर संगठनों ने जोरदार प्रदर्शन किया। यह विरोध देशभर की केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर आयोजित किया गया। हिमाचल प्रदेश में इस आंदोलन का नेतृत्व सीटू (CITU) और हिमाचल किसान सभा ने किया। प्रदर्शन के तहत सैंकड़ों की संख्या में किसान और मजदूर पंचायत भवन से चौड़ा मैदान तक रैली की शक्ल में निकले। इसके बाद एक जनसभा का आयोजन किया गया, जिसमें केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा गया। इस दौरान आईजीएमसी, केएनएच, नगर निगम, होटल, आंगनबाड़ी, आउटसोर्स, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों के मजदूरों ने पूर्ण हड़ताल की, जिससे शिमला में कई सेवाएं प्रभावित रहीं। सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा और किसान सभा अध्यक्ष डॉ. कुलदीप तंवर ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि लेबर कोड्स से मजदूरों का शोषण बढ़ेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि इन कोड्स से हड़ताल के अधिकार समाप्त हो जाएंगे, पक्की नौकरियों की जगह ठेकेदारी और फिक्स टर्म रोजगार को बढ़ावा मिलेगा और मजदूरों से 8 घंटे की बजाय 12 घंटे तक काम लिया जा सकेगा। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि सभी मजदूरों के लिए न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये प्रतिमाह निर्धारित किया जाए, असंगठित मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा के तहत पेंशन दी जाए, आंगनबाड़ी, आशा और मिड डे मील कर्मचारियों को सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए तथा नए लेबर कोड्स और बिजली संशोधन विधेयक को तुरंत रद्द किया जाए। इस हड़ताल को जनवादी महिला समिति, एसएफआई, डीवाईएफआई, दलित शोषण मुक्ति मंच, पेंशनर संघ, एआईएलयू और जन विज्ञान आंदोलन जैसे कई संगठनों का समर्थन प्राप्त हुआ। ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों ने "देहात बंद" का आह्वान करते हुए हड़ताल में सक्रिय भागीदारी निभाई। विजेंद्र मेहरा ने कहा कि सरकार मजदूरों को गुलाम बनाने पर तुली है और देश की सार्वजनिक संपत्तियां लगातार निजी कंपनियों को सौंपी जा रही हैं। उन्होंने चेताया कि अगर मजदूरों की मांगें पूरी नहीं की गईं तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।