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नेपाल में सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाने पर सहमति, संसद विघटन पर मतभेद, आज फिर बैठक

काठमांडू
  • By Kanhwizz Times
  • Reported By: Kritika pandey
  • Updated: September 12, 2025

कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क ।

नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ हुए आंदोलन से उपजे हालात ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को राजपाट छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया। अब अंतरिम सरकार के गठन और संसद के विघटन पर माथामच्ची हो रही है। आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के बाद सेना के मोर्चा संभालते ही हिंसा अप्रत्याशित रूप से थमी है। अब देश में अंतरिम सरकार के गठन के प्रयास जारी हैं। आज सुबह नौ बजे से राष्ट्रपति भवन में बैठकों का अगला दौर फिर शुरू होगा। पूर्व प्रधान न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाने पर सहमति लगभग बन गई है। अंतरिम सरकार प्रमुख के रूप में सुशीला कार्की के नाम पर सहमति तो बन गई है पर संसद विघटन पर राजनीतिक दल ने विरोध किया है जिस कारण से आज सुबह फिर से बैठक बुलाई गई है। बीती रात को साढ़े दस बजे से राष्ट्रपति रामचन्द्र पौडेल के सरकारी आवास शीतल निवास पर शुरू हुई बैठक देर रात तीन बजे तक हुई । बैठक में राष्ट्रपति और प्रधान सेनापति के अलावा संसद के स्पीकर दराज घिमिरे , राष्ट्रीय सभा के अध्यक्ष नारायण दहाल तथा सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश प्रकाश सिंह राउत की मौजूदगी रही। सुशीला कार्की भी बैठक में मौजूद रहीं। सेना का दावा है कि सुशीला कार्की के नाम पर सहमति बन गई है। बैठक से बाहर निकलते हुए प्रधान सेनापति ने सिर्फ इतना कहा कि सुशीला के नाम पर सहमति हो गई है पर संसद विघटन पर अभी बात नहीं बनी। इसलिए सुबह 9 बजे से बैठक बुलाई गई है। संविधान में पूर्व प्रधान न्यायाधीश के राजनीतिक या संवैधानिक नियुक्ति पर प्रतिबंध लगाया गया है। लेकिन आवश्यकता के सिद्धांत पर सुशीला को अंतरिम सरकार प्रमुख बनाने पर दलों ने अपनी सहमति दे दी है। राष्ट्रपति पौडेल प्रमुख दल के नेताओं से भी चर्चा कर रहे हैं। देररात राष्ट्रपति और प्रचंड के बीच टेलीफोन वार्ता हुई है। पूर्व प्रधानमंत्री माधव नेपाल से भी राय मांगी गई। नेपाली कांग्रेस, यूएमएल और माओवादी संसद विघटन के खिलाफ अपनी राय दे रहे हैं। तीनों दलों ने कहा कि संसद विघटन मान्य नहीं है। सभी ने अलग-अलग वक्तव्य जारी कर संविधान के भीतर और संसद में ही नई सरकार के गठन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की मांग की है। हालांकि जेन जी प्रतिनिधि संसद विघटन को लेकर अभी भी अड़े हुए हैं।
 

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