कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क।प्रदोष व्रत विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा का एक महत्वपूर्ण अवसर होता है। यह व्रत हर महीने के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है, और साथ ही “शिव मृत्युंजय स्तोत्र” का पाठ भी किया जाता है। इसे मृत्युंजय मंत्र भी कहा जाता है और यह खासतौर पर जीवन में शांति, संजीवनी शक्ति, और भय से मुक्ति दिलाने के लिए जाना जाता है।
शिव मृत्युंजय स्तोत्र का पाठ करने के लाभ:
1. शरीर और मन की शांति: यह मंत्र मानसिक और शारीरिक शांति प्रदान करता है। इसे जाप करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।
2. दुर्योग और संकटों से रक्षा: शिव मृत्युंजय मंत्र का जाप व्यक्ति को सभी प्रकार के भय और संकटों से बचाता है। इसे पढ़ने से जीवन में अज्ञात डर और दुर्घटनाओं से बचाव होता है।
3. स्वास्थ्य लाभ: यह मंत्र शरीर को रोगों से मुक्त करने में भी सहायक माना जाता है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से व्यक्ति का स्वास्थ्य सुधरता है और उसे लंबे जीवन का आशीर्वाद मिलता है।
4. आध्यात्मिक उन्नति: शिव मृत्युंजय मंत्र का जप आत्मिक उन्नति, समृद्धि और शांति की दिशा में मार्गदर्शन करता है। इसे जीवन के संकटों से उबरने के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
कैसे करें पूजा और मंत्र का जाप:
1. प्रदोष व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।
2. स्वच्छ स्थान पर शिवलिंग स्थापित करें या किसी शिव मंदिर में जाकर पूजा करें।
3. शिव मृत्युंजय स्तोत्र का जाप 108 बार करें।
4. पूजा के दौरान बेलपत्र, दूध, जल, और शुद्ध सामग्री से शिव की पूजा करें।