कैनविज टाइम्स,डिजिटल डेस्क। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अपना हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में पेश किया। केंद्र ने स्पष्ट रूप से कहा कि वक्फ मुसलमानों की कोई धार्मिक संस्था नहीं, बल्कि यह एक वैधानिक निकाय है।
केंद्र ने अदालत से वक्फ (संशोधन) कानून की वैधता के खिलाफ दायर सभी याचिकाएं खारिज करने की अपील की और कहा कि संविधान के तहत संसद द्वारा बनाए गए कानून को संवैधानिक रूप से वैध माना जाता है। केंद्र का कहना है कि अदालतें सिर्फ संवैधानिक वैधता की समीक्षा कर सकती हैं, लेकिन विधायी प्रावधान पर रोक नहीं लगा सकतीं।
सुप्रीम कोर्ट ने 17 अप्रैल को केंद्र से इस मामले में 7 दिन के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा था। इस मामले की अगली सुनवाई 5 मई को होगी।
केंद्र के हलफनामे में 7 बड़ी दलीलें:
इस संशोधन से किसी भी व्यक्ति के वक्फ बनाने के धार्मिक अधिकार में कोई हस्तक्षेप नहीं हो रहा है।
यह कानून केवल वक्फ के प्रबंधन में पारदर्शिता और सुनिश्चितता लाने के लिए लागू किया गया है।
संसद द्वारा पारित कानून को संवैधानिक रूप से वैध माना जाता है, और यह कानून संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की सिफारिशों और संसद में व्यापक बहस के बाद पारित हुआ है।
इस कानून के तहत वक्फ की प्रबंधन प्रक्रिया को सुनिश्चित किया गया है, ताकि विश्वास बनाए रखा जा सके।
वक्फ कानून का उद्देश्य निजी और सरकारी संपत्तियों पर अतिक्रमण को रोकना है।
वक्फ की कुल भूमि 18 लाख 29 हजार 163 एकड़ थी, और 2013 के बाद इस भूमि में 20 लाख 92 हजार 072.536 एकड़ की वृद्धि हुई है, जो गंभीर चिंता का विषय है।
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 एक वैध विधायी शक्ति का प्रयोग है।
पिछली सुनवाई में क्या हुआ:
16 अप्रैल को वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ सुनवाई हुई थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा था। कोर्ट ने वक्फ कानून के विरोध में देशभर में हो रही हिंसा पर भी चिंता जताई थी। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि हिंसा का इस्तेमाल दबाव डालने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने 17 अप्रैल को वक्फ कानून के खिलाफ दायर 70 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केवल 5 याचिकाओं पर सुनवाई करने की बात की थी। कोर्ट ने केंद्र से जवाब दाखिल करने के लिए 7 दिन का वक्त दिया था और वक्फ संपत्ति पर यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे।
AIMPLB का प्रदर्शन:
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने वक्फ कानून के खिलाफ 87 दिन लंबा प्रदर्शन शुरू किया है। इस प्रदर्शन के पहले चरण में 1 करोड़ हस्ताक्षर इकट्ठा किए जाएंगे जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे जाएंगे।