कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क ।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसमें असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) के राजनीतिक दल के रूप में पंजीकरण को चुनौती दी गई थी। यह याचिका तिरुपति नरसिम्हा मुरारी द्वारा दायर की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि एआईएमआईएम धर्म के आधार पर वोट मांगती है, जो संविधान में उल्लेखित धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के खिलाफ है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के 2024 के उस फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसमें याचिका पहले ही खारिज कर दी गई थी। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता चाहें तो नई रिट याचिका दाखिल कर सकते हैं, जिसमें राजनीतिक दलों के पंजीकरण से संबंधित बड़े सुधारात्मक मुद्दे उठाए जा सकते हैं। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने दलील दी कि एआईएमआईएम का संविधान केवल मुस्लिम समुदाय के हितों की बात करता है, जो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अल्पसंख्यकों के हितों के लिए काम करने की घोषणा आपत्तिजनक नहीं मानी जा सकती, क्योंकि संविधान स्वयं अल्पसंख्यकों को संरक्षण प्रदान करता है। दिल्ली हाईकोर्ट ने पहले ही यह साफ किया था कि एआईएमआईएम अपने संवैधानिक दस्तावेजों में भारत के संविधान के प्रति निष्ठा और सच्ची आस्था की बात करती है, जो किसी भी राजनीतिक दल के लिए आवश्यक शर्त है।