कैनविज टाइम्स, डिजिटल डेस्क ।
सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहे हेट स्पीच (नफरती भाषणों) पर गंभीर चिंता जताई है। शीर्ष अदालत ने सोमवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर किसी भी तरह की गैर-जिम्मेदाराना और भड़काऊ बातों को जायज ठहराना बेहद खतरनाक है। जस्टिस बी. वी. नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज फ्रांसिस विस्वनाथन की पीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि हमें सेंसरशिप की जरूरत नहीं है, लेकिन बोलने की आजादी के नाम पर सब कुछ करने की छूट नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने यह टिप्पणी सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई के दौरान की, जिसमें याचिकाकर्ता वजाहत ने उनके वीडियो को लेकर आपत्ति जताई थी। कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को निर्देश दिए कि वे ऐसे मामलों में संवेदनशीलता के साथ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करें, लेकिन साथ ही यह भी ध्यान रखें कि अभिव्यक्ति की आजादी को कुचला न जाए। अदालत ने यह भी कहा कि सोशल मीडिया पर लगातार फैलते हेट स्पीच समाज में असहिष्णुता को बढ़ावा दे रहे हैं और यह लोकतंत्र के लिए खतरा बन सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों से ऐसे मामलों में समय रहते ठोस कदम उठाने की अपील की है।