काबुल : अफगानिस्तान में गुरुवार को काबुल एयरपोर्ट के पास दो आत्मघाती हमला हुआ। जिसमें 72 लोगों की मौत हो गई। दुनिया के खूंखार आतंकवादी संगठन ISIS-K ने इस आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी ली है। एक के बाद एक हुए तीन फिदायीन हमलों में 13 अमेरिकी सैनिकों की जान गई। अभी तक 60 से ज्यादा अफगानी नागरिकों की मौत हुई है। काबुल प्रशासन के मुताबिक हमले में 150 से ज्यादा लोग बुरी तरह घायल हैं। एहतियात के तौर पर अब काबुल एयरपोर्ट के बाहर सुरक्षा व्यवस्था को और बढ़ा दिया गया है। काबुल धमाके पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि जिसने भी इसे अंजाम दिया है उसे हम माफ नहीं करेंगे न ही इसे भूलेंगे।
ISIS खोरासान के आतंकियों ने दावा किया है कि उन्होंने ही अमेरिकी सैनिकों को निशाना बनाया है। काबुल में अमेरिका बड़े पैमाने पर रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहा है। एयरपोर्ट के बाहर हजारों लोगों की भीड़ इकठ्ठा है और इसी भीड़ का फायदा उठाकर ISIS खोरासान के आतंकियों ने आत्मघाटी हमला कर दिया। आतंकी, भविष्य में फिर से ऐसे किसी भी हमले को अंजाम ना दे सकें। इसके लिए अमेरिका ने एयरपोर्ट के आस-पास अपने जंगी बेड़े को मजबूत कर दिया है। अत्याधुनिक लड़ाकू विमान F-15 और अपाचे हेलिकॉप्टर को सुरक्षा मिशन पर लगाया गया है। काबुल एयरपोर्ट के गेट के बाहर हमले का अलर्ट है इसलिए अमेरिकी नागरिक एयरपोर्ट की तरफ नहीं आने की सलाह है।
क्या है ISIS-K यानी खोरासान गुट?
ईरान, तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान की सीमा पर खोरासान नाम के इलाके में 2012 में लड़ाकों ने एक गुट बनाया था।2014 में इस गुट का ISIS के प्रति झुकाव हुआ और वो इस्लामिक स्टेट की मुहिम में शामिल हो गए। ISIS के करीब 20 मॉड्यूल हैं, जिसमें सबसे खतरनाक ISIS-K यानी खोरासान गुट है। दक्षिण एशिया में खोरासान का नेटवर्क सबसे मजबूत है। ISIS का खोरासान मॉड्यूल इस वक्त सबसे ज्यादा सक्रिय है। ये संगठन तालिबान छोड़ने वाले लड़ाकों की भर्ती करता है। तालिबान छोड़कर आए लड़ाकों को कमांडर बनाता है। उज्बेक, ताजिक, वीगर और चेचेन्या से युवाओं की भर्ती करता है। खोरासान गुट अफगानिस्तान में नया ठिकाना बनाने की कोशिश में है। ISIS-K गुट का अल कायदा से गठजोड़ है, इस गुट में अल कायदा से ट्रेनिंग ले चुके लड़ाके भी शामिल हैं।