कैनवीज टाइम्स,डिजिटल डेस्क। मणिपुर में जारी जातीय हिंसा और संघर्ष का असर असम में भी देखने को मिल रहा है, जहां राज्य सरकार ने अपनी सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी है। मणिपुर में हाल ही में हुई जातीय हिंसा ने न केवल राज्य की स्थिरता को प्रभावित किया है, बल्कि इसका असम और अन्य पड़ोसी राज्यों में भी असर पड़ा है। असम सरकार ने मणिपुर के साथ लगती राज्य की सीमा पर अतिरिक्त सुरक्षा तैनात की है, ताकि संघर्ष का फैलाव रोका जा सके और क्षेत्र में शांति बनाए रखी जा सके।
मणिपुर संघर्ष का प्रभाव:
मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष ने बड़े पैमाने पर हिंसा और रक्तपात को जन्म दिया। इस संघर्ष ने हजारों लोगों को प्रभावित किया और कई लोग मारे गए और हजारों लोग बेघर हो गए। मणिपुर के इस संकट का असर असम पर पड़ा, क्योंकि दोनों राज्यों की सीमा एक-दूसरे से जुड़ी हुई है और असम में मणिपुर के निवासियों की बड़ी संख्या रहती है।
संघर्ष के कारण असम में जातीय असहमति और साम्प्रदायिक तनाव बढ़ने की आशंका थी, जिसे देखते हुए राज्य प्रशासन ने सुरक्षा कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
असम की सुरक्षा बढ़ाने के कदम:
1. सीमा पर अतिरिक्त बल तैनात:
असम सरकार ने मणिपुर के साथ सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए अर्धसैनिक बल, एसटीएफ (Special Task Force), और पुलिस बल की अतिरिक्त टुकड़ियाँ तैनात की हैं। इन सुरक्षा बलों का मुख्य उद्देश्य सीमा पर अवैध गतिविधियों को रोकना, आतंकी समूहों की घुसपैठ को नियंत्रित करना और जातीय संघर्ष के फैलाव को रोकना है।
2. संदिग्ध गतिविधियों पर निगरानी:
राज्य पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां मणिपुर से असम आने वाले लोगों पर विशेष निगरानी रख रही हैं, विशेषकर उन लोगों पर जो संघर्ष के कारण विस्थापित हो गए हैं। असम सरकार ने ऐसे लोगों के आवागमन और लॉगिंग गतिविधियों पर ध्यान देने के लिए जांच चौकियों को और कड़ा किया है।
3. सुरक्षा चेक पोस्ट और बलों की गश्त:
असम- मणिपुर सीमा के मुख्य मार्गों पर सुरक्षा चेक पोस्ट को मजबूत किया गया है। इसके अलावा, गश्त और चेकिंग ऑपरेशन भी बढ़ा दिए गए हैं ताकि सुरक्षा के उल्लंघन और घुसपैठ को रोका जा सके।
4. मीडिया और सोशल मीडिया पर निगरानी:
असम सरकार ने यह भी फैसला लिया है कि सोशल मीडिया और मीडिया पर झूठी अफवाहों और उकसाने वाली जानकारी पर निगरानी रखी जाएगी। इस तरह की जानकारी जातीय संघर्ष को और बढ़ावा दे सकती है, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो सकती है।
असम में बढ़ी जातीय संवेदनशीलता:
मणिपुर के संघर्ष का असर असम के विभिन्न हिस्सों में जातीय और सांप्रदायिक तनाव को भी प्रभावित कर सकता है। असम में पहले से ही विभिन्न जातीय और आदिवासी समुदायों के बीच संघर्ष और असहमति पाई जाती है। मणिपुर का हिंसात्मक घटनाक्रम इन संवेदनशील मुद्दों को और उभार सकता है, इसलिए असम प्रशासन ने सतर्कता बढ़ाई है।
विभिन्न आदिवासी समुदायों और मूल निवासियों के बीच असम में कभी-कभी संघर्ष होते रहे हैं, और मणिपुर के संघर्ष के कारण इन संघर्षों में वृद्धि का खतरा था। विशेषकर, असम में बोडो, मुस्लिम, आदिवासी और अन्य समुदायों के बीच साम्प्रदायिक असहमति बनी रहती है। राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि मणिपुर से असम में घुसपैठ करने वाले जातीय या धार्मिक समूहों के बीच कोई संघर्ष न हो।
मणिपुर में स्थिति और असम की प्रतिक्रिया:
मणिपुर में स्थिति अभी भी नाजुक बनी हुई है, जहां सुरक्षा बलों और स्थानीय प्रशासन की कोशिशें जारी हैं। असम सरकार ने मणिपुर सरकार और केंद्र सरकार से संपर्क बढ़ाकर इस संघर्ष के समाधान की कोशिश की है। असम सरकार ने कहा है कि वे मणिपुर में स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए केंद्र से अधिक सहायता की अपेक्षा करते हैं, साथ ही उन्होंने धार्मिक और जातीय सद्भावना बनाए रखने पर जोर दिया। मणिपुर में जातीय संघर्ष ने असम में सुरक्षा और शांति बनाए रखने की जरूरत को और भी बढ़ा दिया है। असम सरकार की ओर से सीमावर्ती क्षेत्रों में की गई सुरक्षा बढ़ाने की कार्रवाई महत्वपूर्ण है, ताकि असम में कोई बड़ी अशांति न फैले। हालांकि, असम सरकार का यह कदम स्थानीय सुरक्षा स्थिति को मजबूत करने और समाज में स्थिरता बनाए रखने की दिशा में एक अहम कदम है। यह देखना होगा कि आगे जाकर इस संघर्ष का प्रभाव असम में किस प्रकार के सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तनों को जन्म देता है।